सीजीपीएससी पर घमासान: भाजपा ने कांग्रेस को घेरा, रमन-साव ने लगाया पीएससी में धांधली का आरोप

HIGHLIGHTS

  1. कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस सरकार पर हमलावर हुई भाजपा
  2. भाजपा के आरोपों को कांग्रेस ने स्तरहीन राजनीति करार दिया
  3. पीएससी घोटाले पर कोर्ट के निर्णय ने सरकार के गाल पर जड़ा तमाचा

रायपुर(राज्य ब्यूरो)। Politics on CGPSC Scam: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) के परिणामों को लेकर छत्तीसगढ़ की सियासत में घमासान जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने मामले में राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मेरे खिलाफ कांग्रेस की फर्जी एफआइआर को खारिज करने और सभी मामले समाप्त करने का निर्णय दिया है।

दूसरा फैसला पीएससी के मामले में है। हाई कोर्ट ने न केवल कांग्रेस सरकार को फटकार लगाई, बल्कि पीएससी अध्यक्ष के रिश्तेदारों की नियुक्ति पर रोक लगा दी। पीएससी पारदर्शी प्रक्रिया में असफल रही है। छत्तीसगढ़ के लाखों युवाओं के भविष्य की बात है। आज स्पष्ट रूप से न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त की। सरकार ने भ्रष्टाचार में पीएससी को भी नहीं छोड़ा। पैसों से पदों का लेनदेन किया गया। अधिकारियों का षड्यंत्र रहा। आश्चर्य होता है कि पीएससी अध्यक्ष के कई सारे रिश्तेदार का चयन डिप्टी कलेक्टर-डीएसपी के पद पर होता है। यह छत्तीसगढ़ को कलंकित करने वाला कारनामा है।

पीएससी घोटाले पर सरकार को तमाचा : साव

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि पीएससी घोटाले पर हाई कोर्ट के निर्णय ने राज्य सरकार के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ा है। मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग कर साव ने कहा कि प्रदेश के युवा और भाजपा लगातार इस घोटाले को लेकर आवाज उठा रही थी, लेकिन राज्य की भ्रष्टाचारी सरकार ने इस पर जांच के आदेश नहीं दिए। अब काेर्ट के निर्णय के बाद इस सरकार को सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।

पीएससी पर भाजपा कर रही स्तरहीन राजनीति: कांग्रेस

भाजपा नेताओं के आरोपों को कांग्रेस ने स्तरहीन राजनीति करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह बेहद ही दुर्भाग्यजनक है कि मुद्दाविहीन भाजपा विशेष तौर पर इस प्रदेश के 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह पीएससी की चयनित सूची पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।

रमन सिंह बेहद ही गैर जिम्मेदाराना आरोप लगा रहे कि पीएससी में नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बेटे-बेटियां चयनित हो गईं। रमन सिंह और भाजपा को आपत्ति है कि पीएससी में सगे भाई-बहन, पति-पत्नी का चयन कैसे हो गया? भाजपा के पास और कोई भी तार्किक आधार नहीं है।

क्यों और कैसे पर सवाल खड़ा करके भाजपा प्रदेश के युवाओं के सपनों को पंख लगाने वाली संस्था पीएससी की विश्वसनीयता को संदिग्ध बना कर युवाओं की भावनाओं पर ठेस पहुंचा रही है। रमन सिंह के पिछले डेढ़ दशक के कार्यकाल में व्यापमं भ्रष्टाचार और अनियमितता का अड्डा बन चुका था। प्रदेश की जनता अभी भूली नही है कि पीएमटी परीक्षा के प्रश्न पत्र रमन राज में 2011 में बाजारों में बिके थे।

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