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Moon Dark Side: बस आधे चांद को ही देख पाते हैं हम, ये है चंद्रमा के अंधेरे हिस्से का सच

HighLights

  • दुनिया चंद्रमा के आधे हिस्से को ही देख पाती है।
  • एक बहुत बड़ा हिस्सा पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता है।
  • ऐसे में सवाल उठता है कि इसकी क्या वजह है।

नई दिल्ली Moon Dark Side: चंद्रमा के सिर्फ आधे हिस्सा को ही हम देख पाते है। मून का दूसरा हिस्सा हमारी आंखों से ओझल रहता है। चांद के क्षेत्रफल के 59 फीसदी हिस्से को पृथ्वी से अलग-अलग समय में देखा जा सकता है। हालांकि एक वक्त में 50 फीसदी हिस्से को पूरी दुनिया देख पाती है। चंद्रमा का बहुत बड़ा पार्ट पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता है। आइए आगे जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है?

इसकी वजह चांद का पृथ्वी के साथ टाइडल लॉकिंग होना है। चंद्रमा के पृथ्वी के कक्षा का एक चक्कर लगाने का समय और अपनी धुरी पर चक्कर लगाने का समय बराबर है। यह पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन 6 घंटे में पूरा करता है। इस कारण चांद का एक हिस्सा हमेशा पृथ्वी की तरफ होता है।

क्या है डार्क साइड?

पृथ्वी से दिखने वाले हिस्से को नियर साइड ऑफ मून कहा जाता है। वहीं, दिखाई न देने वाले हिस्से को डार्क साइड ऑफ द मून कहते हैं। यहां डार्क का अर्थ अंधेरे से नहीं है। ऐसा भी नहीं कि चंद्रमा का ये हिस्सा अंधेरे में रहता है। इस हिस्से में सूर्य की किरणे 14 दिन तक रहती हैं।

क्यों कहते हैं डार्क साइड?

चंद्रमा के दूरस्थ हिस्से को डार्क साइड इसलिए कहते हैं, क्योंकि दूसरे हिस्से के बारे में जानकारी काफी कम है। अब तक चांद के मिशन नजदीकी हिस्से पर हुए हैं। दूरस्थ हिस्सा एक पहेली की तरह है।

किसने ली थी डार्क साइड की पहली तस्वीर?

चांद का पिछला भाग जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है। उसकी पहली तस्वीर 7 अक्टूबर, 1959 को रूस के लूना-3 ने ली थीं। इसके बाद 1968 में अमेरिका के मानव मिशन अपोलो-8 के अंतरिक्ष यात्रियों ने इस हिस्से को देखा था। वहीं, 3 जनवरी 2019 को चीन के Chang’e4 ने पहली बार चंद्रमा के दूरस्थ हिस्से पर लैंडिंग की थी।

 

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