MP Elecction 2023: चुनाव हारे ऐंदल और सरला को फिर टिकट, विवादों में रहे प्रीतम को मिला गिफ्ट
MP Elecction 2023: चुनाव हारे ऐंदल और सरला को फिर टिकट, विवादों में रहे प्रीतम को मिला गिफ्ट
MP Elecction 2023: ग्वालियर भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को प्रदेश की 39 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करते हुए विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया। इनमें ग्वािलयर चंबल अंचल की चार और बुंदेलखंड की दो सीटों पर भाजाप प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा सीट से सरला रावत और सुमावली विधानसभा सीट से ऐंदल सिंह कंषाना को प्रत्याशी बनाया है। ऐंदल सिंह को टिकट मिलने से उन सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों की भी उम्मीद बढ़ी है, जो उपचुनाव में हार गएथे। मुरैना विधानसभा से पूर्व विधायक रघुराज कंषाना, दिमनी से पूर्व मंत्री गिर्राज डण्डाेतिया से 2020 का उप चुनाव हार गए थे।
21 को पिछोर में प्रीतम के समर्थन में सभा संभावित
21 अगस्त को पिछोर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दौरा भी प्रस्तावित है। उनके साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रहेंगे। इस आमसभा के जरिए जिले में भाजपा के चुनाव अभियान की विधिवत शुरुआत हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी दो बार मुख्यमंत्री का पिछाेर में कार्यक्रम बन चुका है, लेकिन दोनों बार वह निरस्त हो गया था। इस बार शिवराज और सिंधिया पोहरी में भी सभा करेंगे। 21 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रस्तावित दतिया दौरे से पहले ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई हैं।
छह साल के लिए निष्कासित प्रीतम छह माह में पा गए टिकट
शिवपुरी की पिछोर विधानसभा से भाजपा ने लगातार तीसरी बार प्रीतम लोधी को टिकट दिया है। पिछोर से पिछले तीस साल से कांग्रेस की केपी सिंह जीतते आ रहे हैं। हालांकि 2018 के चुनाव में जीत का अंतर महज 2675 मतों का ही था। यही कारण है कि भाजपा एक बार फिर लोधी वोट बैंक के सहारे कांग्रेस के अभेद किले में सेंध लगाने की तैयारी में है। पिछले वर्ष ब्राह्मण समाज पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद शिवपुरी सहित कई जिलों में लोधी समाज और ब्राह्मण समाज में टकराव की स्थिति बन गई थी। भाजपा ने 19 अगस्त 2022 को प्रीतम को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने ओबीसी महासभा के साथ मिलकर प्रदेश में कई जगह शक्तिप्रदर्शन किया। अंतत: भाजपा ने पिछोर में लोधी वोट बैंक को देखते हुए छह माह पार्टी में वापस ले लिया।
उपचुनाव हारकर भी टिकट पाने में कामयाब रहे ऐंदल सिंह
सुमावली विधानसभा से ऐंदल सिंह कंषाना चार बार विधायक चुने गए, दो बार मंत्री भी बने। साल 1993 और 1998 में वह बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे, तो 2008 और 2018 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ऐदल सिंह कंषाना 34134 वोट से चुनाव जीते थे, लेकिन कमल नाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने पर सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए पीएचई मंत्री बने। छह महीने तक शिवराज सरकार में केबिनेट मंत्री रहने के बाद नवंबर 2020 में हुआ उप चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी अजब सिंह कुशवाह से 10947 वोट से हारे थे। टिकट फानइल होते ही ऐंदल सिंह कंषाना भोपाल से उज्जैन में महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए।
सरला के ससुर रहे विधायक, पिछली बार तीसरे नंबर पर रहीं
सबलगढ़ विधानसभा से सरला रावत के ससुर मेहरबान सिंह रावत आठ बार टिकट मिला, जिसमें वह तीन बार जीते। मेहरबान सिंह के निधन के बाद साल 2018 के चुनाव में भाजपा ने सरला रावत को प्रत्याशी बनाया, जिसमें सरला तीसरे नंबर पर रहीं। कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ कुशवाह 8737 वोट से जीते। दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी लालसिंह केवट को 45869 वोट मिले। भाजपा की सरला रावत को 45100 वोट मिले। हार के बावजूद फिर भाजपा ने सरला पर भरोसा जताया है हालाकि सरला रावत का टिकट फाइनल होते ही विरोध के स्वर भी फूटने लगे हैं। हालाकि टिकट फाइनल होने के बाद सबलगढ़ में सरला रावत के समर्थकों ने जश्न मनाया, वहीं सरला रावत राजस्थान के करौली स्थित कैलादेवी व मदनमोहनजी मंदिर पर दर्शनों के लिए पहुंचीं।
रणवीर से हारे थे लाल सिंह, इस बार उनका टिकट कटा
भिंड की गोहद विधानसभा सीट से भाजपा ने एक बार फिर वर्तमान में अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व राज्यमंत्री और गोहद से तीन बार के विधायक रह चुके लाल सिंह आर्य पर विश्वास जताया है। उपचुनाव में पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सिंधिया समर्थक रणवीर जाटव को टिकिट दिया था, जिन्हें कांग्रेस के मेवाराम जाटव ने करारी शिकस्त देते हुए हराया था। वर्ष 2018 में लाल सिंह आर्य को रणवीर जाटव ने ही 20705 मतों से हराया था। गोहद विधानसभा सीट से वर्ष 1998 में पहली बार लाल सिंह आर्य ने 3222 वोटों से जीत हासिल की थी। वर्ष 2003 में एक बार फिर से लाल सिंह आर्य ने 10649 वोट से जीत हासिल की, इसके बाद वर्ष 2013 में उन्होंने 19814 मतों ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। जबकि वर्ष 2008 और 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
छतरपुर से अनुभवी, महाराजपुर से युवा चेहरे पर भाजपा का दांव ललिता यादव भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री रह चुकी हैं। वह पूर्व में छतरपुर से विधायक रह चुकी हैं। पिछले चुनाव में उन्हें बड़ा मलहरा से उतारा गया था जहां से उन्हें हार झेलनी पड़ी। इस बार पार्टी ने उनको फिर से छतरपुर से उतार दिया है। छतरपुर से बहुत कम अंतर से पिछलीबार चुनाव हारी अर्चना गुडडू सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रही थीं। महाराजपुर से भाजपा ने युवा चेहरा कामाख्या प्रताप सिंह पर दांव लगाया है। कामाख्या प्रताप सिंह के पिता मानवेंद्र सिंह भंवर राजा एक मजबूत और चर्चित चेहरा रहे हैं। महाराजपुर पर भाजपा और कांग्रेस की सबसे ज्यादा नजर है क्योंकि यह सीट लंबे समय तक भाजपा की रही है। पिछले चुनाव में यहां से मानवेंद्र सिंह भंवर राजा को कांग्रेस के नीरज दीक्षित ने हराया था। करीब 35 साल बाद कांग्रेस को सीट मिली थी।