Scam in PHE: मुख्यालय में दस्तावेजों की होगी जांच पुलिस ने 20 संदिग्ध खाते कराए सीज
ग्वालियर पीएचइ में हुए 16.42 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के लिए भोपाल से मुख्य अभियंता वीपी सोनकर के नेतृत्व में आया जांच दल पेन ड्राइव में सारे आनलाइन बिल और वाउचर कापी कर अपने साथ ले गया है, ताकि मुख्यालय में इसकी विस्तृत जांच हो सके। समय बीतने के साथ ही इस घोटाले की जांच भी धीमी पड़ती जा रही है। इस मामले का मास्टर माइंड हीरालाल अब तक गायब है और सिर्फ एक ही आरोपी राहुल आर्य पकड़ा गया है।
वहीं बैंकों से 21 गुमनाम खातों की जानकारी सामने नहीं आई है। उधर पुलिस ने भी सोमवार को 20 संदिग्ध खाते सीज कराए हैं। पीएचइ में हुए इस घोटाले ने सरकारी सिस्टम में लापरवाही से मिलीभगत तक की पोल खोलकर रख दी है। कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के मद की राशि को एक पंप आपरेटर हीरालाल ने स्थापना प्रभारी का चालू प्रभार रहते हुए बड़ी आसानी से अकाउंट नंबर बदलकर अपने रिश्तेदारों के खातों में डाल दिया। इसके अलावा बिना अधिकार फर्जी क्लोरीन खरीद दर्शाकर 6.24 करोड़ रुपए का पेमेंट एक हाथकरघा फर्म के खाते में कर दिया गया। मामले का खुलासा होने के बाद हीरालाल के अलावा फर्म का संचालक प्रदीप पलरया भी गायब है। उधर पीएचइ और ट्रेजरी के अधिकारी भी गुपचुप तरीके से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर खुद को पाक-साफ बता रहे हैं। कायदे से दोनों विभागों को संयुक्त रूप से मिलकर दोषियों का पता लगाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसके चलते जांच की पूरी जिम्मेदारी अब पुलिस के पास आ चुकी है, क्योंकि इस मामले में हीरालाल के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है।
तीन अधिकारियों पर संदेह, सुबूत जुटा रही पुलिस
इस मामले में मुखबिरों के जरिए पुलिस को सूचना मिली है कि इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड सिर्फ हीरालाल नहीं है, बल्कि पर्दे के पीछे तीन अधिकारियों की भी भूमिका है। ऐसे में पुलिस ने इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ सुबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा पुलिस की टीम ने सोमवार को पीएचइ कार्यालय में जाकर रिकार्ड मांगा। पीएचइ ने रिकार्ड की फोटोकापी दे दी है। ऐसे में पुलिस ने चिट्ठी लिखकर मूल दस्तावेज मांगे हैं। बताया जा रहा है कि पीएचइ के पास भी मूल दस्तावेज मौजूद नहीं हैं।
पीएचइ घोटाले की जांच के दौरान 20 और संदिग्ध खाते सीज कराए गए हैं। पीएचइ से रिकार्ड की फोटो कापी मिली है। हमने मूल दस्तावेज देने के लिए पत्र लिखा है।
ऋषिकेश मीणा, एएसपी