हड़ताल कर रहे संविदा कर्मचारियों को पर लगा एस्मा, तीन दिन में लौटने का अल्टीमेटम
रायपुर: नियमितीकरण की मांगों को लेकर 23 दिनों से हड़ताल पर डटे प्रदेश के 45 हजार संविदा कर्मियों को काम पर लौटने का आदेश जारी किया गया है। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों व कलेक्टरों को आदेश करते हुए कहा है कि तीन दिन के भीतर यदि अधिकारी-कर्मचारी काम पर नहीं लौटे तो एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने यह भी कहा कि है कि कार्रवाई के बाद उनके स्थान पर अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। विभाग ने कहा है कि अधिकारी, कर्मचारियों की मांगों के संबंध में विचार कर वेतन वृद्धि की घोषणा की गई है। इसके बाद भी प्रदेश के 45 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी अनाधिकृत तौर पर हड़ताल पर हैं।
ऐसे में लोकहित और नागरिक सेवाओं के साथ शासकीय कार्य प्रभावित हो रहा है। राज्य सरकार ने मांगों के अनुरुप संविदा कर्मचारियों के वेतन में 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि का निर्णय लिया है। वेतन वृद्धि की घोषणा के बाद भी संविदा अधिकारी एवं कर्मचारी विभागों में अनुपस्थित है। यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम-2012 की कंडिका 15 (1) के अनुसार आवरण नियम-1965 का उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि नवा रायपुर के तूता स्थित धरना स्थल पर संविदा कर्मचारी आंदोलनरत है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायत, समाज कल्याण विभाग, नगर निकाय, राजस्व, वन, खनिज, सहकारिता, परिवहन आदि विभागों के कर्मचारी शामिल हैं।
विभागों के एचओडी को कार्रवाई के निर्देश
सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को विभागाध्यक्ष को जारी पत्र में लिखा है कि नोटिस के बाद भी तीन दिन के भीतर सेवा से अनुपस्थित रहने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्न्ता निवारण अधिनियम, 1979 की धारा-4 की उपधारा (1) एवं (2) द्वारा प्रदस्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए कार्रवाई करें। साथ ही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम-2012 के अंतर्गत उनके स्थान पर अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
नियमितीकरण की मांग, वेतन बढ़ोतरी काफी नहीं
इस मामले में छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष कौशलेंद्र तिवारी ने कहा कि हमने नियमितीकरण की मांग की है। 27 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी काफी नहीं है। वेतन बढ़ोतरी दो वर्ष पुरानी घोषणा है, जो सरकार ने अभी पूरी की है। हम कार्रवाई से डरने वाले नहीं है। सरकार को घोषणा-पत्र में किए गए वादों के मुताबिक नियमितीकरण करना होगा।