Chhattisgarh News: दीपक बैज को छत्‍तीसगढ़ का कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने पर जानिए क्‍या है नफा और नुकसान

रायपुर। राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक बैज ने पदभार ग्रहण करते ही कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाया। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने ऐतिहासिक स्वागत किया। हमारे कार्यकर्ताओं और नेतागण के इरादे को बरसता पानी भी डिगा नहीं सका। सत्ता और संगठन दोनों अलग-अलग है। सत्ता और संगठन में तालमेल होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य और मिशन 2023 और मिशन 75 प्लस हासिल करना है। झूठ और फरेब की राजनीति को उखाड़ फेकना है।

ज्ञात हो कि कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर मोहन मरकाम को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर इसकी जवाबदारी अब बस्तर सांसद दीपक बैज को सौंपी गई। हालांकि आदिवासी वोटबैंक को साधने के लिए मरकाम को मंत्री का पद दिया गया है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी इतने अहम हैं कि इन्हें साधने के लिए कांग्रेस और भाजपा अभी से ही एड़ी चोटी का जोर लगाने लगे हैं।

मुख्यमंत्री व पूर्व अध्यक्ष ने किया स्वागत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए अध्यक्ष का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज हमारे नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज का हम सब स्वागत करते है, अभिनंदन करते है। मंत्री व निवृतमान प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम कहा कि हमारे बस्तर के ऊर्जावान सांसद दीपक बैज नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है। नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, एनएसयूआइ, यूथ कांग्रेस और ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, दो बार विधायक एवं वर्तमान में बस्तर के सांसद है।

मुख्यमंत्री व पूर्व अध्यक्ष ने किया स्वागत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए अध्यक्ष का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज हमारे नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज का हम सब स्वागत करते है, अभिनंदन करते है। मंत्री व निवृतमान प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम कहा कि हमारे बस्तर के ऊर्जावान सांसद दीपक बैज नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है। नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, एनएसयूआइ, यूथ कांग्रेस और ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, दो बार विधायक एवं वर्तमान में बस्तर के सांसद है।

बैज को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने पर नफा व नुकसान

नफा: राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो युवा नेता होने के कारण बैज कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पहली पसंद हैं। जिस तरह से युवाओं को तरजीह दी जा रही है ऐसे में बैज फिट बैठते हैं। बैज बस्तर के इकलौते आदिवासी सांसद हैं ,ऐसे में बस्तर की 12 सीट को साधने में कांग्रेस को और अधिक आसानी होगी। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां बस्तर को फोकस कर रही हैं क्योंकि सत्ता की चाबी यहीं से निकलती है। अभी कांग्रेस के पास बस्तर की सभी सीटें हैं और कांग्रेस इसे गंवाना नहीं चाहती है।

यह हो सकता है नुकसान: सांसद बैज में संगठन के सरकार के बीच में समन्वय करने के लिए अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर समय कम है। संगठनात्मक और चुनाव के लिए समझने में कम समय बचा है, जो कि उनके लिए चुनौती हो सकती है। संगठन को चलाने का पहला दायित्व है इसलिए अनुभव भी एक कमजोर फैक्टर साबित हो सकता है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो वरिष्ठ नेताओं का विश्वास जीतने और कार्यकर्ताओं की योग्यता पहचानने में भी वक्त लग सकता है।

 

 

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