आप भी प्रकृति के बीच बिताना चाहते हैं वक्त तो आ जाये यहां…
गर्मियों की छुट्टियों में सभी घूमने का प्लान बनाते हैं, लेकिन यह दुविधा बनी रहती हैं कि घूमने के लिए कहां जाया जाए। गर्मियों के दिनों में ज्यादातार लोग ऐसी जगह घूमने जाना पसंद करते हैं जहां आसपास पानी हो और गर्मियों में भी ठंडक का अहसास लिया जा सकें। ऐसे में आज हम आपके लिए हिंदुस्तान का दिल यानी मध्य प्रदेश के झरनों की जानकारी लेकर आए हैं।
वैसे तो देशभर में कई झरने मौजूद है लेकिन, मध्य प्रदेश में मौजूद वाटरफॉल्स प्रकृति की सबसे सुंदर क्रिएशन में से एक है। मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है, देश में बहने वाली तमाम नदियों की अधिकतर सहायक नदियों का उद्गम मध्यप्रदेश से ही होता है। मध्यप्रदेश के ये झरने भारत के दिल को अपनी तेज धाराओं से सुशोभित करते हैं और राज्य को पर्यटकों के लिए आकर्षित जगह बनाते हैं। आइये इन झरनों के बारे में जानते हैं।
धुआंधार जलप्रपात
धुंआधार जलप्रपात जबलपुर जिले में है,और जबलपुर की पहचान भी है। ये भेड़ाघाट में नर्मदा नदी पर स्थित है। यह जलप्रपात 30 मीटर ऊंचा है। शरद पूर्णिमा में यहां नर्मदा महोत्सव मनाया जाता है और ये धुंआधार जलप्रपात को देखने का सबसे अच्छा समय है। खास बात ये है कि जब चांदनी जलप्रपात पर पड़ती है तो सफेद संगमरमर की चट्टानें बहुत शानदार दिखाई देती हैं। धुंधार जलप्रपात में बोटिंग भी होती है।
दूध धारा वाटरफॉल्स
लगभग 15 मीटर की ऊंचाई से गिरते पानी देखने और यहां आसपास घूमने के लिए हर महीने हजारों सैलानी पहुंचते हैं। ये झरना मध्य प्रदेश के अनुपपूर जिले में मौजूद है। इस झरने को लेकर एक मान्यता है कि यहां दुर्वासा ऋषि ने तपस्या की थी इसलिए इस झरने का नाम दुर्वासा झरना पड़ा था। लेकिन, बाद के समय में ये दूध धारा के रूप में प्रचलित हो गया। एक अन्य धारणा है कि नर्मदा जी ने किसी राजकुमार पर प्रसन्न होकर उन्हें दूध की धारा के रूप में दर्शन दिए थे जिसके बाद इसका नाम दूध धारा पड़ा।
कपिलधारा जलप्रपात
यह मध्यप्रदेश के अमरकंटक से 7 किमी की दूरी पर स्थित है। यह नर्मदा नदी पर बसा हुआ पहला जलप्रपात है। यहां पर नर्मदा नदी एक ऊंची चट्टान से गिरती है। यह जलप्रपात करीब 100 फीट ऊंचा है। इसके चारों तरफ खूबसूरत जंगल है। प्रकृति की गोद में बसे इस झरने में आप स्नान करने का आनंद भी उठा सकते हैं। झरने के आस-पास घना जंगल है। जिसकी वजह से यहां काफी अलग-अलग प्रकार के पेड़ों और पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है। कपिलधारा जलप्रपात का नाम कपिलधारा इसलिए रखा गया है, क्योंकि इस जलप्रपात के पास ही में कपिल मुनि का आश्रम था। वह यहां रहते थे और यहां पर तपस्या करते थे। कपिल मुनि ने यहां रहकर ही अनेक ग्रंथ की रचना की थी। इसलिए इस जलप्रपात का नाम कपिलधारा जलप्रपात रखा गया।
पातालपानी झरना
इंदौर शहर से लगभग 35 किमी दूर पर स्थित, पातालपानी झरना एक अद्भुत पर्यटन स्थल है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश में कई झरनों के बीच, यह एक मौसमी झरना है, यानी इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर के महीनों के बीच रहता है। इंदौर के दक्षिण-पश्चिम में केकरिया डाबरी में स्थित इस 150 फीट ऊंचे जलप्रपात तक इंदौर रेलवे स्टेशन से कैब या टैक्सी लेकर पहुंचा जा सकता है। हालांकि पातालपानी का अपना रेलवे स्टेशन भी है, जिसे “पातालपानी रेलवे स्टेशन” कहा जाता है। झरना इंदौर के पास एक अच्छा पिकनिक स्थल प्रदान करता है। स्थानीय लोगो के वीकेंड में यह जगह शामिल होती है।
तिनचा जलप्रपात
इंदौर शहर से लगभग 25 किमी की थोड़ी दूरी पर, तिनचा जलप्रपात इंदौर और उसके आसपास के सबसे अच्छे झरनों में से एक है। शहर से पास होने के कारण स्थानीय लोगो की यह पहली पसंद है जहाँ वीकेंड आनंद ले सके। तिनचा गांव के पास स्थित इस झरने की सुंदरता बारिश के आगमन के साथ ही खिल जाती है। ये फॉल्स 300 फीट की ऊँचाई से गिरते हैं। हालांकि जोखिम कारक के कारण मुख्य क्षेत्र के पास स्नान और तैराकी प्रतिबंधित कर दी गई है।