थोक और खुदरा महंगाई कम होने के बावजूद दवा-दूध अब भी जेब पर भारी
मार्च महीने में खुदरा महंगाई और थोक महंगाई दर में बड़ी गिरावट रही। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कुछ नरमी की वजह से यह स्थिति देखने को मिली, लेकिन दवा, स्वास्थ्य सुविधाएं और दूध के दाम अब भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। मार्च 2023 में स्वास्थ्य महंगाई दर 6.59 फीसद के उच्च स्तर पर बनी हुई है। वहीं, दूध की थोक महंगाई दर पिछले साल मार्च के 4.12% से बढ़कर इस साल मार्च में 8.48% पहुंच गई है।
दवाओं के दाम में वृद्धि
स्वास्थ्य सेवाओं की महंगाई दर फरवरी के 6.5 फीसद की तुलना में मार्च में बढ़कर 6.59 फीसद पर पहुंच गई है। यह लगातार सातवां महीना है, जब स्वास्थ्य महंगाई दर में वृद्धि हुई है। नवंबर 2022 से यह 6 फीसद के ऊपर बनी हुई है। वृद्धि की मुख्य वजह दवाओं के दाम में वृद्धि है, जिसकी स्वास्थ्य महंगाई दर में सबसे ज्यादा भूमिका है। दवाओं की महंगाई (गैर संस्थागत) मार्च में 7.20 फीसद बढ़ी है, जो फरवरी में 7.15 फीसद थी। यह अक्टूबर 2022 से 6 फीसद से ऊपर बनी हुई है। स्वास्थ्य महंगाई में दवाओं का अधिभार 70 फीसद है। स्वास्थ्य की अन्य श्रेणियों में डॉक्टर/सर्जन से पहली बार परामर्श का शुल्क (गैर संस्थागत) भी फरवरी के 5.71 फीसद से बढ़कर मार्च में 6.01 फीसद हो गया है।
दूध में उबाल तेज
देश में एक दशक में दूध की कीमत भले ही 57 फीसदी के करीब बढ़ी हो , लेकिन पिछले एक साल में इसमें तेज इजाफा हुआ है। एक साल के भीतर दूध के दाम में 10 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पशु आहार की कीमतों में वृद्धि से दूध की लागत में इजाफा हुआ है। वर्ष 2013 में एक लीटर फुल क्रीम दूध की कीमत 42 रुपये प्रति लीटर थी जो अब 66 रुपये प्रति लीटर हो गया है। दूध की थोक महंगाई दर पिछले साल मार्च के 4.12% से बढ़कर इस साल मार्च 2023 में 8.48% पहुंच गई।
कोरोना संकट के बाद मांग बढ़ी: बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बाद दूध और उससे बने उत्पादों को लेकर उपभोक्ता सजग हो गए हैं और इसकी मांग में इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक दूध की मांग में उम्मीद से अधिक 25 से 30 फीसदी तक इजाफा हुआ है जो कोरोना पूर्व काल से दोगुना है। मांग के मुकाबले आपूर्ति में कमी भी कीमतों में इजाफा होने की एक वजह है।