कोलकाता में 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार करने का मामला सुनियोजित साजिश का परिणाम

रांची: अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता में 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार करने का मामला सुनियोजित साजिश का परिणाम है. कोलकाता के व्यापारी अमित अग्रवाल और हाइकोर्ट के वकील राजीव कुमार के बीच बातचीत करानेवाले व्यापारी सोनू अग्रवाल ने बतौर सरकारी गवाह पूरे प्रकरण में अपना बयान दर्ज कराया है. इडी ने राजीव कुमार और अमित अग्रवाल को पीएमएलए की धारा तीन और चार के तहत पहली नजर में दोषी मानते हुए न्यायालय से कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

इडी द्वारा दायर आरोप पत्र में कहा गया है कि अमित अग्रवाल ने कोलकाता पुलिस में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में गलतबयानी की थी. उन्होंने पुलिस में की गयी शिकायत में कहा है कि अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैसा लेकर पीआइएल को मैनेज करने के लिए उनसे संपर्क किया था. राजीव कुमार सरकारी अधिकारियों, कोर्ट के अधिकारियों और जज के नाम पर पहली किस्त में एक करोड़ रुपये घूस मांग रहे हैं.

इसी शिकायत पर अमित अग्रवाल ने क्वेस्ट मॉल (बेक बगान रोड, कोलकाता) में राजीव कुमार को 50 लाख रुपये के साथ कोलकाता पुलिस से गिरफ्तार कराया. जांच में पाया गया है कि अमित ने ही सोनू के माध्यम से राजीव कुमार से संपर्क किया था, जबकि प्राथमिकी में उन्होंने राजीव कुमार द्वारा ही उनसे (अमित से) संपर्क करने की बात लिखी.

इडी की ओर से दायर आरोप पत्र में सोनू अग्रवाल का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उसने बतौर सरकारी गवाह अपना बयान दर्ज कराया है. उसने कहा है कि हाइकोर्ट में शेल कंपनियों द्वारा मनी लाउंड्रिंग के मामले में सीबीआइ जांच की मांग को लेकर चल रहे पीआइएल की वजह से अमित अग्रवाल परेशान थे. इसके बाद उन्होंने इस मुद्दे पर शिवशंकर शर्मा के वकील राजीव कुमार से बातचीत कराने के लिए कोशिश करने का अनुरोध किया.

इसके बाद सोनू अग्रवाल ने दोनों के बीच बातचीत की पहल की. पीआइएल मैनेज करने के मुद्दे पर बातचीत के लिए राजीव कुमार दो बार कोलकाता गये. पहले दौर की बातचीत के बाद राजीव को दूसरी बार कोलकाता बुलाया गया. दोनों ही बार राजीव कुमार के लिए टिकट और होटल की व्यवस्था सोनू ने ही की थी. दूसरी बार कोलकाता पहुंचने के बाद 31 जुलाई को जब राजीव कुमार को पकड़ा गया, तो उस वक्त वह(सोनू) क्वेस्ट मॉल में राजीव कुमार के बेटे के साथ मौजूद था. जांच में यह पाया गया है कि अब तक किसी सरकारी अधिकारी या कोर्ट अधिकारी ने अमित अग्रवाल से संपर्क नहीं किया है.

राजीव कुमार ने भी किसी सरकारी अधिकारी द्वारा उनसे संपर्क करने की बात से इनकार किया है. पर अमित कुमार ने यह आरोप लगाया है कि राजीव कुमार ने 10 करोड़ रुपये घूस लेकर उन्हें सरकारी अधिकारियों को देने व मामले को पहले धीमा करने और बाद में समाप्त करने पर सहमति दी थी. साथ ही यह भी कहा था कि अगर घूस की रकम नहीं मिली, तो वह (राजीव) अपना काम करेंगे. जांच के दौरान अमित अग्रवाल किसी भी अधिकारी का नाम नहीं बता सके, जिनका नाम राजीव कुमार ने मामले को धीमा करने के बिंदु पर लिया हो. जांच में पाया गया कि शिवशंकर शर्मा ने पीआइएल (4290/2021) दायर किया था. इसमें राजनीतिज्ञों का काला धन शेल कंपनियों में लगाने का आरोप लगाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की गयी थी.

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