गर्भवती की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर को पीटा भी था, संस्था बोली-पहले जांच कराए प्रशासन

कोरबा में एक गर्भवती की मौत के बाद डॉक्टर की पिटाई और उनके खिलाफ की एफआईआर के मामले ने तुल पकड़ लिया है। डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-IMA ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। प्रशासन को एफआईआर से पहले कमेटी से जांच करानी चाहिए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉ. विकास कुमार अग्रवाल और छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा, कोरबा के अस्पताल में मरीज की मौत के बाद उनके परिजनों का यह आरोप कि इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी मृत्यु हुई, बहुत दुखद है। उसके बाद उन्होंने जिस प्रकार की हिंसात्मक कार्रवाई चिकित्सकों और अस्पताल के स्टाफ के विरुद्ध की, वह निंदनीय है। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन ने पहले डॉक्टरों के आवेदन पर एफआईआर लिखने से मना कर दिया। बाद में मृतका के परिजनों की शिकायत पर डॉक्टरों के खिलाफ धारा 304-ए यानी लापरवाही की वजह से मौत का मामला दर्ज कर लिया।

IMA का कहना है, पुलिस प्रशासन का यह कृत्य जैकब मैथ्यू केस में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के सरासर विरुद्ध है। उस फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा था, इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो जाने पर चिकित्सक को तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता अथवा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती, जब तक एक विशेषज्ञ समिति यह राय ना दे दे कि मरीज की मृत्यु के लिए चिकित्सक की लापरवाही जिम्मेदार है। IMA ने डॉक्टरों के खिलाफ किसी कार्रवाई से पहले विशेषज्ञों की समिति ने घटना की जांच कराने की मांग की है। इसके साथ ही डॉक्टर से मारपीट के मामले में मृतका के परिजनों के खिलाफ भी छत्तीसगढ़ चिकित्सक सेवक तथा चिकित्सा सेवक संस्थान ( हिंसा तथा संपत्ति की क्षति या हानि की रोकथाम) कानून के तहत केस दर्ज करने की मांग की है।

मरीज की मौत पर दु:ख भी जताया

IMA की ओर से कहा गया, पिछले दिनों कोरबा के न्यू कोरबा हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान पुष्पा राज राठौर का निधन हो गया। यह दु:खद है, लेकिन यह भी साफ है कि कोई भी चिकित्सक किसी मरीज का दुश्मन नहीं होता। किसी भी स्थिति में दवा या इंजेक्शन इलाज के लिए ही दिये जाते हैं। उनके व्यक्तिगत प्रभाव अलग अलग हो सकते हैं, जिन्हें पहले से नहीं बताया जा सकता। मरीज की हालत गंभीर होने पर मृत्यु की संभावना होती है। कोई भी इंजेक्शन मरीज को नुकसान पहुंचाने के लिये नहीं दिया जाता है।

क्या हुआ था उस दिन

जांजगीर चांपा जिले के ग्राम कोसमंदा चांपा में रहने वाली पुष्पा राज राठौर को कोरबा के कोसाबड़ी चौक स्थित न्यू कोरबा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां इलाज के दौरान मां और बच्चे दोनों की मौत हो गई। इसे लेकर मृतका के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा की मौत हुई है। हंगामे के दौरान परिजनों ने डॉक्टर की पिटाई कर दी। बाद में पहुंची पुलिस ने किसी तरह मामला संभाला। बाद में परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

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