शौहर जावेद है हिंसारोपी, महिला की संपत्ति पर नहीं होता पति का हक, क्या है कानून
प्रयागराज में 10 जून को हुई हिंसा के मास्टरमाइंड बताए जा रहे जावेद अहमद उर्फ पंप के घर को बुलडोजर से तुड़वा दिया गया है। रविवार को प्रयागराज विकास प्राधिकरण की टीम बुलडोजर लेकर पहुंची और घर को जमींदोज कर दिया। मगर इस केस में प्रयागराज अधिवक्ता मंच ने कई सवाल खड़े किए हैं।
अधिवक्ता मंच का पहला सवाल है, अगर मकान जावेद की पत्नी परवीन फात्मा के नाम है तो प्राधिकरण ने जावेद के नाम नोटिस चस्पा कर मकान कैसे तोड़ दिया? अगर पति आरोपी हैं तो क्या पत्नी की प्रॉपर्टी पर इस तरह की कार्रवाई करना जायज है? दूसरा सवाल, अगर मकान पहले से अवैध था तो दो दशकों से नगर निगम इस मकान पर हाउस और पानी का टैक्स कैसे वसूल कर रहा था?
पति पर लगे आरोप, तो पत्नी का मकान कैसे तोड़ा?
प्रयागराज हिंसा में पुलिस ने जावेद अहमद 10 जून को गिरफ्तार कर लिया था। 12 जून की दोपहर को करेली थानाक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जेके आशियाना 39 सी/2 ए/1 को जावेद अहमद का मकान बताते हुए उस पर बुलडोजर चलाया गया। मगर, असल में इस मकान की मालकिन उनकी पत्नी परवीन फात्मा हैं। उनका नाम न ही प्राधिकरण के नोटिस में लिखा है और न ही पुलिस की एफआईआर में। फिर आखिर उनकी प्रॉपर्टी पर कार्रवाई क्यों की गई?
प्रयागराज अधिवक्ता मंच ने बुलडोजर से मकान ढहाने के खिलाफ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने याचिका दायर की। इसमें कहा गया है कि जिस मकान पर सरकार का बुलडोजर चला है वह असल में जावेद का नहीं है। यह प्लॉट उनकी बेगम परवीन फात्मा के नाम पर रजिस्टर है। शादी के समय परवीन के पिता कलीमउद्दीन सिद्दीकीने ने करीब दो दशक पहले यह प्लॉट परवीन को तोहफे में दिया था। इस प्लॉट पर परवीन और जावेद ने मकान बनाया।
इस मकान को गिरवाने से पहले PDA की तरफ से जो नोटिस जारी किया गया, उसमें परवीन के बजाए उनके पति जावेद का नाम लिखा है। जबकि मुस्लिम प्रॉपर्टी राइट्स के अनुसार महिला की संपत्ति पर पति का अधिकार नहीं हो सकता है। ऐसे में क्या मकान खाली कराने की कार्रवाई की जा सकती है या नहीं?