साउथ में सम्राट पृथ्वीराज-भूल भुलैया-2 RRR PUSPA जैसी साउथ की फिल्में कमाई में थमी नहीं, साउथ की फिल्मों के सुप्रीम होने का दावा किया,
साउथ के एक्टर किच्चा सुदीप ने जबसे साउथ की फिल्मों के सुप्रीम होने का दावा किया, तब से हिंदी बनाम साउथ के अलग-अलग संदर्भ सामने आ रहे हैं। साउथ में बनी फिल्में हिंदी में डब होकर 100 करोड़ तक कमा जाती हैं। वहीं हिंदी की फिल्मों को साउथ में ऐसा रिस्पॉन्स नहीं मिलता।
हाल ही में आई ‘भूल भुलैया-2’ का अब तक वर्ल्ड वाइड कलेक्शन 164 करोड़ रुपए से ज्यादा है। लेकिन साउथ कलेक्शन महज 15.50 करोड़ रुपए रहा। यह कुल कमाई का 5 फीसदी भी नहीं रहा। यही हाल गंगूबाई काठियावाड़ी और द कश्मीर फाइल्स का भी रहा। साउथ के ट्रेड एनालिस्ट श्रीधर पिल्लई बताते हैं, ‘पहले साउथ में अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना का जलवा था। उसके बाद सलमान, शाहरुख, आमिर खान और ऋतिक रोशन का फैन बेस है।
साउथ में केवल हैदराबाद, बेंगलुरु, कोयंबटूर और चेन्नई के मल्टीप्लेक्सेज में ही हिंदी फिल्में लगती हैं। अब तक केवल ‘दंगल’ ही ऐसी फिल्म है, जिसने साउथ में 65 करोड़ का कलेक्शन किया था। दूसरी ओर, बाहुबली, पुष्पा और केजीएफ-2 ऐसे फिल्में हैं, जो 100 करोड़ क्लब में शामिल हुईं। साउथ में बरसों से फिल्म पत्रकारिता कर रहीं नेहा रेड्डी बताती हैं, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के कॉस्मोपॉलिटन शहरों में तो एक हद तक हिंदी फिल्में चलती हैं, मगर तमिलनाडु और केरल में सिर्फ लोकल हीरो की फिल्में हावी हैं।
तमिलनाडु में धोनी तो पॉपुलर हैं, मगर उनकी बायोपिक बनी फिल्म महज 2.91 करोड़ रुपए कमा सकी। अक्षय कुमार की ‘एयरलिफ्ट’ भी ऐसी ही कहानी है। कुवैत में साउथ इंडियन बड़ी तादाद में हैं, पर उस फिल्म को साउथ से महज 16 करोड़ मिले। डिस्ट्रीब्यूटर अक्षय राठी कहते हैं, ‘साउथ वाले फिल्म प्रमोशन बहुत भव्य करते हैं, लेकिन हिंदी में ऐसा नहीं है।’ ‘एयरलिफ्ट’ के डायरेक्टर राजा कृष्ण मेनन कहते हैं, ‘साउथ में हिंदी समझने वाली ऑडियंस कम हैं। साथ ही उनकी भाषा की फिल्म के प्रर्याप्त ऑप्शन हैं।’