CBFC: फिल्मों को सर्टिफिकेशन देने के मामले में सेंसर बोर्ड ने किया बदलाव, जोड़ी गईं नई कैटेगरी

सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) भारत में बनने वाली फिल्मों को उनके कंटेंट के आधार पर सर्टिफिकेट देता है। सीबीएफसी लगभग 40 साल से फिल्म सर्टिफिकेशन को लेकर एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया को फॉलो करता आ रहा है। हालांकि अब इस प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए गए हैं। सीबीएफसी के नए अपडेट का उद्देश्य है कि पैरेंट्स को उनके बच्चों के लिए बेहतर कंटेंट डिसाइड करने में मदद मिल सके।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। ये देश संविधान से चलता है और संसद इसे रेगुलेट करता है। वैसे ही जब कोई भी फिल्म रिलीज होती है, तो उसके लिए सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट चाहिए होता जोकि इसकी रेगुलेटरी बॉडी है। सेंसर बोर्ड फिल्म में जरूरी कट लगाती है कि कोई भी अनावश्यक कंटेंट, गाली या गलत सीन जोकि दिखाया नहीं जाना चाहिए वो खुलेआम ना जाए।

क्या है CBFC का काम?

दूसरे शब्दों में समझे तो सेंसर बोर्ड एक वैधानिक संस्था है, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। यह बोर्ड हमारे देश की फिल्मों को उसके कंटेंट के हिसाब से सर्टिफिकेट प्रदान करता है। CBFC पिछले 40 साल से फिल्मों को सर्टिफिकेशन देने का काम करता आ रहा है और अब इसमें थोड़ा सा बदलाव किया गया है। अब पेरेंट्स ये तय कर पाएंगे कि फिल्म उनके बच्चों के लिए ठीक है कि नहीं। सीबीएफसी ने कुछ नई कैटेगरी इंट्रोड्यूस की है।

मेकर्स को थी सीबीएफसी से शिकायत

सीबीएफसी बोर्ड के सदस्यों ने टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कहा कि इस कार्यान्वयन पर सालों से चर्चा चल रही थी और इस वर्गीकरण से प्रमाणन समिति को सभी फिल्मों को सिर्फ एक श्रेणी में रखने से बचने में मदद मिलेगी। दरअसल बोर्ड का कहना है कि कई बार मेकर्स ये शिकायत करते थे कि उनकी फिल्म को मिसजज किया गया कई बार फिल्मों में मारधाड़ या लड़ा केवल ग्राफिक्स आदि में होती है जोकि 16+ वाले बच्चों के लिए देखने लायक है लेकिन 7+ बच्चे इसे नहीं देख सकते।
कई बार हिंसा उस तरह की नहीं होती लेकिन थीम के मैच्योर होने की वजह से 7+ और 13+ बच्चे इसे नहीं देख पाते। मेकर्स का कहना था कि भारत में इस तरह का कोई फिल्टर नहीं है जो इस तरह से फिल्मों को अलग कर सके। उम्मीद है कि इस नए बदलाव से उनकी ये शिकायत खत्म हो जाएगी। 

क्या है फिल्मों को सर्टिफिकेशन देने की कैटेगरी

सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 के तहत फिल्मों को कंटेंट के हिसाब से पहले दो श्रेणी में बांटा गया था। पहली श्रेणी U यानी यूनिवर्सल है। इसके तहत फिल्मों को सभी वर्ग के दर्शक देख सकते हैं और दूसरी श्रेणी A है, जिसके तहत सिर्फ व्यस्क लोगों को फिल्म देखने का अधिकार है। 

अन्य दो कैटेगरी U/A, जिसके अंतर्गत 12 साल से कम उम्र के बच्चे अपने पैरेंट्स या बड़े लोगों की निगरानी में फिल्म देख पाएंगे और आखिरी श्रेणी S, जो खास वर्ग के लोगों के लिए है को बाद में जोड़ा गया था। S सर्टिफिकेट में वो फ़िल्में आती हैं, जिन्हें समाज के किसी खास तबके के लिए बनाया गया हो। अब से सीबीएफसी अब नए अपडेट के तहत UA 7+, UA 13+, UA 16+, और A कैटेगरी में फिल्मों को सर्टिफिकेट जारी करेगा. 

अब U/A कैटगरी की तीन सब कैटगरी इंट्रोड्यूज की गई हैं 

1. U/A 7+ : 7 साल की उम्र के ऊपर के बच्चे इस सर्टिफिकेट की फिल्मों को देख सकेंगे, लेकिन माता-पिता की निगरानी के साथ। 

2. U/A 13+ : 13 साल से ऊपर के बच्चे, माता-पिता की निगरानी में। 

3. U/A 16+ : 16 साल से ऊपर के बच्चे, वो भी माता-पिता की निगरानी में।

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