बड़ी से बड़ी बाधा से लड़ने की शक्ति देता है इस कवच का नियमित पाठ
नई दिल्ली. ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को कर्म, पीड़ा, आयु, रोग, सेवा आदि का कारक माना गया है। शनि देव भी मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। ऐसे में कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति मजबूत ना होने से जातक को जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ज्योतिष शास्त्र शनि कवच का पाठ बहुत फलदायी माना गया है। मान्यता है की इस कवच का रोजाना पाठ करने से व्यक्ति को अपने जीवन की हर बड़ी से बड़ी बाधा से मुक्ति मिलती है।
शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनि देव के कई स्त्रोत, मंत्र और पाठ मौजूद हैं। उन्हीं में से शनि कवच भी एक है। माना जाता है कि जिस प्रकार युद्ध से पूर्व एक सैनिक अपने शरीर पर लोहे का कवच पहनता है, ताकि दुश्मनों के वार से उसकी सुरक्षा हो सके, उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र कहता है कि शनि कवच का पाठ करने पर व्यक्ति जीवन की मुश्किलों से बचा रहता है।
चूंकि कवच का मतलब ही ढाल या रक्षा होता है इसलिए शनि कवच का पाठ करने पर शनि का प्रकोप भी नहीं सताता। वहीं शनि कवच का पाठ करने वाला मनुष्य शनि की दशा, अंतर्दशा, शनि की ढैया या साढ़ेसाती, रोगों, कष्टों, हार, आरोप-प्रत्यारोप, आर्थिक हानि, शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा आदि सभी से सुरक्षित रहता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हत्या और अकाल मृत्यु के भय से बचाने वाला यह शनि कवच एक ढाल की तरह मनुष्य के सामने खड़ा रहता है।
साथ ही माना जाता है कि शनि कवच का पाठ करने वाले व्यक्ति को एक्सीडेंट, लकवे आदि का डर भी नहीं होता है। अगर किसी कारणवश आप इसका नियमित पाठ न कर पाएं तो शनि जयंती या हर शनिवार को शनि कवच का पाठ करने से सब बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति आती है। बता दें कि शनि कवच के पाठ के बाद शनि देव की धूप-दीप से आरती करें और फिर मन ही मन शनि महाराज से अपनी वाणी या कर्मों द्वारा हुई गलतियों की क्षमा मांगें। तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण करें।