Indore Cleanest City: यूं ही कोई शहर इंदौर नहीं बनता… इनोवेशन किए, तब बना सरताज

देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों की बात हो और इंदौर का नाम न आए, ये तो हो ही नहीं सकता। साल 2017 में पहली बार देश के सबसे साफ और स्वच्छ शहरों में अपनी जगह बनाने के बाद से इंदौर ने इस बादशाहत को कायम रखा है। मगर, ऐसा नहीं है कि यह शहर पहले भी ऐसा ही था। साल 2016 के पहले यहां के हालात कुछ और थे।

HIGHLIGHTS

  1. साल 2016 के पहले गंदा नजर आता था शहर।
  2. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से बदल गई सूरत।
  3. 2017 से लगातार पहले नंबर पर बनाई जगह।

 इंदौर। आज इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में पहचाना जाता है। मगर, ऐसा नहीं कि यह हमेशा से यूं ही साफ-सुधरा था। साल 2016 से पहले हालात कुछ और थे। शहर के लगभग हर चौराहे पर कचरा पेटियां होती थीं।

इनमें नगर निगम के सफाईकर्मी ही नहीं, बल्कि आमजन भी कूड़ा-कचरा डालते थे। कचरा पेटियों को खाली करने का कोई व्यवस्थित सिस्टम नहीं था। हालात ये थे कि जितना कचरा पेटियों में भरा होता था, उससे कहीं ज्यादा कचरा इनके बाहर सड़क पर पड़ा रहता था।

आवारा पशु चारे की आस लिए दिनभर इन पेटियों के आस-पास घूमा करते थे। चौराहों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा हुआ करता था। वर्ष 2016 में हुए स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर 25वें स्थान पर था, लेकिन इसके बाद शहर ने स्वच्छता की अलख जगाई।

स्वच्छता को बनाया संस्कार

इसके बाद इंदौर ने स्वच्छता को संस्कार बनाया और जुट गया अपनी सूरत बदलने में। इसकी शुरुआत हुई शहर को कचरा पेटियों से मुक्त करने के अभियान के साथ। साल 2016 की शुरुआत में शहर में 1500 से ज्यादा कचरा पेटियां थीं।

जोन-15 के एक वार्ड से शुरू हुआ अभियान

साल 2016 के मध्य में शहर में डोर-टू डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम लाने की सुगबुगाहट शुरू हुई। मगर, परेशानी यह थी कि इस सिस्टम को लागू कैसे किया जाए, क्योंकि शहरवासियों को नई व्यवस्था समझाना आसान नहीं था।

अब तक शहरवासी चौराहों पर रखी कचरा पेटियों में कचरा फेंका करते थे। घर पर कचरा एकत्रित करना उनके लिए आसान नहीं था। जोन-15 के एक वार्ड में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम ट्रायल के बतौर शुरू किया गया।

धीरे-धीरे लोगों को पसंद आया सिस्टम

एक रिक्शा के जरिये से घरों से कचरा एकत्रित कर एक स्थान पर लाया जाता था। इसके बाद वहां से इसे उठाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह सिस्टम लोगों को पसंद आने लगा। इसके बाद सभी 19 जोन में एक-एक डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन वाहन शुरू कर दिया गया।

मगर, वाहनों की यह संख्या पर्याप्त नहीं थी। ऐसे में तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन ने मदद की। उन्होंने सांसद निधि से निगम को कुछ डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन वाहन उपलब्ध करवाए। धीरे-धीरे वाहनों का यह कारवां बढ़ने लगा। आज नगर निगम के पास 550 से ज्यादा डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन वाहन हैं।

बदबू से मुक्ति, साफ सुथरी नजर आने लगीं सड़कें

शहर को कचरा पेटियों से मुक्त करने की मुहिम का असर साफ नजर आने लगा। जिन चौराहों से बदबू की वजह से कभी गुजरना मुश्किल था, वे साफ-सुथरे दिखाई पड़ने लगे। यहां की कचरा पेटियां इतिहास हो गईं।

चौराहों पर यातायात व्यवस्था भी सुधरने लगी। वर्ष 2017 में हुए स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर के इस नवाचार को जबर्दस्त प्रतिसाद मिला और हमारा शहर 25वें स्थान से पहले स्थान पर आ गया।

इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी इंदौरियों ने जिद नहीं छोड़ी। वे जी-जान से जुटे रहे शहर को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाए रखने में।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button