गजब की कला! नारियल के खोल से बना दी सजावट की चीजें, PM के पर्यावरण संरक्षण के संदेश से मिली प्रेरणा
एक फैक्ट्री में कार्यरत सुरेंद्र बैरागी बताते हैं कि पांच साल पहले 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का संदेश दे रहे थे। उनके संदेशों से प्रेरित होकर बैरागी ने संकल्प लिया कि परिवार में प्लास्टिक डिस्पोजल गिलास, कप का उपयोग नहीं करेंगे।
HighLights
- निश्शुल्क बांटकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का दे रहे संदेश।
- मंदिरों में जाकर वहां से नारियल का खोल एकत्रित करते हैं बैरागी।
- सुरेंद्र बैरागी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का दे रहे संदेश।
रायपुर। अक्सर होटलों, चाय ठेलों में प्लास्टिक के गिलास, प्लास्टिक के कप का उपयोग चाय, पानी पीने में किया जाता है। प्लास्टिक कप, गिलास के कारण पर्यावरण प्रदूषित होता है। यह देखकर समाजसेवी सुरेंद्र बैरागी ने नारियल के खोल से कप, गिलास, चम्मच बनाया।
साथ ही घर को सजाने के लिए सजावटी आकृति भी बनानी शुरू की। इन आकृतियों में हैंगर, चाबी स्टैंड, लैंप बनाकर घर को सजाया। अब निश्शुल्क कप, चम्मच आदि बांटकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का संदेश दे रहे हैं।
एक फैक्ट्री में कार्यरत सुरेंद्र बैरागी बताते हैं कि पांच साल पहले 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का संदेश दे रहे थे।
उनके संदेशों से प्रेरित होकर मैंने और पत्नी आशा, पुत्री दुलिका, पुत्र रितेंद्र और मितुल बैरागी ने संकल्प लिया कि परिवार में प्लास्टिक डिस्पोजल गिलास, कप का उपयोग नहीं करेंगे।
इसके अलावा बाजार से कोई भी सामान खरीदकर घर लाने के लिए कपड़े के थैले का ही उपयोग करेंगे। इस संकल्प के बाद नारियल के खोल से कप, कटोरी बनाना सीखा।
नारियल की कटोरी निश्शुल्क बांट रहे
बैरागी परिवार के सभी सदस्य अपने खाली समय में नारियल के खोल से कप, कटोरी, चम्मच, छोटा जग बनाते हैं। इसके लिए अनेक मंदिरों में जाकर वहां से नारियल का खोल एकत्रित करते हैं।
भगवान को अर्पित होने वाला नारियल होता है शुद्ध
बैरागी बताते हैं कि नारियल, भगवान को अर्पित किया जाता है। किसी का सम्मान करना हो तो नारियल भेंट किया जाता है, इसलिए, यह शुद्ध माना जाता है। नारियल से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता।
उन्हें नारियल से बनीं चीजों का उपयोग करते देखकर अनेक लोगों ने भी नारियल से विविध सामग्री बनाना सीखा। इस बात की खुशी होती है कि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक होने लगे हैं।
इसे देखकर हमने ‘आस एक प्रयास सेवा टोली’ का गठन किया है। इससे अनेक लोग जुड़ रहे हैं। प्लास्टिक के बेहतर विकल्प को देखते हुए अनेक लोग नारियल के बर्तन बनाने की मांग कर रहे हैं।
उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों से काफी हद तक प्लास्टिक का उपयोग कम हो रहा है।