चूहों से त्रस्‍त हुआ अफ्रीका… अब अपने ही द्वीप को बम से उड़ाएगी सरकार

अफ्रीका के मैरियन केपटाउन द्वीप में चूहों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये चूहे द्वीप में रहने वाले पक्षियों को निशाना बना रहे हैं। अब सरकार ने यहां से चूहों को खत्म करने के लिए द्वीप में बमबारी करने का फैसला किया है। सरकार यह अभियान साल 2027 में चलाएगी। इसके लिए फंड जुटाया जा रहा है।

HIGHLIGHTS

  1. खास तौर पर अल्बाट्रॉस को निशाना बना रहे हैं चूहे
  2. 2027 की सर्दियों में द्वीप में बमबारी करेगी सरकार
  3. अभियान को ‘माउस-फ्री मैरियन प्रोजेक्ट’ दिया नाम

एजेंसी, केपटाउन (Mouse-Free Marion Project)। घरों, दुकानों और गोदामों में सामान्‍य तौर पर चूहे पाए जाते हैं। चूहों की बड़ी संख्या किसी को भी परेशान कर सकती है। लेकिन, क्‍या हो जब किसी देश की सरकार भी चूहों से परेशान हो जाए। ऐसी ही परेशानी इन दिनों अफ्रीका के सामने है। इसके चलते यहां की सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

दरअसल, अफ्रीका से करीब दो हजार किलोमीटर दूर मैरियन केपटाउन द्वीप बसा है। यह अफ्रीका का ही हिस्सा है। यहां बढ़ती चूहों की तादाद ने अफ्रीका की सरकार को परेशान करके रख दिया है और अब सरकार इस द्वीप में बमबारी करने जा रही है।

 

क्‍या हो रही परेशानी

मैरियन केपटाउन द्वीप में समुद्री पक्षियों की संख्या काफी अधिक है। बढ़ती चूहों की तादाद इन पक्षियों को निशाना बना रही है। खास तौर पर चूहे अल्बाट्रॉस पर भारी पड़ रहे हैं। ऐसे में सरकार ने इन पक्षियों को चूहों से बचाने के लिए द्वीप में बमबारी करवाने का फैसला किया है। सरकार के इस मिशन को माउस-फ्री ‘मैरियन प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया है।

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कब होगी बमबारी

अफ्रीका सरकार ने साल 2027 में द्वीप पर बमबारी का फैसला किया है। बमबारी सर्दी के दौरान की जाएगी। क्योंकि इस मौसम में चूहे अधि‍क भूखे होते हैं और यहां रह रहे पक्षी प्रजनन के लिए द्वीप से कहीं और चले जाते हैं। ऐसे में बमबारी के लिए इस समय को अनुकूल माना जा रहा है।

मैरियन केपटाउन द्वीप 25 किलोमीटर लंबा और 17 किलोमीटर चौड़ा है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह प्रोजेक्ट तभी सफल हो सकता है, जब बमबारी के दौरान द्वीप के पूरे क्षेत्र काे कवर कर लिया जाए।

फंड का का रहे बंदोबस्त

इस प्रोजेक्ट के लिए अफ्रीका सरकार फंड का बंदोबस्त करने में जुटी है। सरकार अब तक 2 अरब, 43 करोड़ 37 लाख 64 हजार रुपये जुटा चुकी है। जो इस प्रोजेक्ट में खर्च होने वाली कुल राशि का केवल एक चौथाई है। हालांकि, सरकार का मानना है कि शेष समय में बची हुई राशि का भी इंतजाम कर लिया जाएगा।

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