CG Weather Alert: छत्तीसगढ़ में अभी जारी रहेगा बारिश का दौर, आज इन इलाकों में होगी झमाझम बरसात, IMD ने किया अलर्ट
छत्तीसगढ़ में जुलाई महीने में बारिश का कोटा पूरा होने के बाद अगस्त में बचे हुए दिन में बारिश की संभावना अभी भी बनी हुई है। इधर, शनिवार को अधिकांश जिलों में मध्यम बारिश और गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने मध्य छत्तीसगढ़ में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश और वज्रपात की संभावना भी व्यक्त की है।
HIGHLIGHTS
- मानसून के फिर सक्रिय होने से बारिश का दौर शुरू।
- प्रदेश के रायपुर समेत कई जिलों में हुई खंड बारिश।
- रुक-रुक कर हो रही बारिश से तापमान में गिरावट।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शनिवार को अधिकांश जिलों में मध्यम बारिश होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। मौसम विभाग ने एक-दो स्थानों पर भारी बारिश और वज्रपात होने की संभावना जताई है। मौसम विभाग का कहना है कि मुख्यत: मध्य छत्तीसगढ़ में भारी बारिश की संभावना है।
मौसम विभाग के अनुसारी शुक्रवार को प्रदेश में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। वहीं सात स्थानों पर भारी बारिश हुई। वर्षा कटघोरा में 110 मिमी दर्ज हुई। शुक्रवार को राजधानी समेत कई जिलों में खंड बारिश हुई। महज आठ से दस किलोमीटर के दायरे में कहीं सूखा तो कहीं तेज बारिश देखने को मिली।
मौसम विभाग के मुताबिक अभी प्रदेश में लगातार बारिश की संभावना बनी हुई है। रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण प्रदेश में रात का पारा 23 से 25 डिग्री तक पहुंच गया है। दिन में भी तापमान 31 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया है। अभी तापमान में गिरावट होने की संभावना बनी हुई है।
वर्षा के मुख्य आंकड़े (मिमी)
कटघोरा- 110, पौडी उपरोरा – 100, सोनाखान, पल्लारी, पाली, पिथौरा -80, सकोला -70, पेंड्रा -60, नवागढ़ -50, अर्जुन्दा, बेलगहना, छुरा – 40, मुंगेली, मोहला -30, अकलतरा, गुंडरदेही, डोंगरगढ़, धारशिवा -20 मीमी वर्षा हुई।
कई सिस्टम सक्रिय
– पश्चिम बंगाल के उत्तरी भागों और पूर्वोत्तर झारखंड के आसपास निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। यह चक्रवाती परिसंचरण औसत समुद्र तल से 7.6 किमी ऊपर तक फैला हुआ है और अगले 24 घंटों में इसके पश्चिम की ओर झारखंड की ओर बढ़ने की संभावना है।
– उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर समुद्र तल से 5.8 किमी पर एक चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है।
– औसत समुद्र तल पर मॉनसून ट्रफ बीकानेर, सीकर, उरई, चुर्क, डेहरी से पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्सों और उत्तर-पूर्व झारखंड के आसपास के क्षेत्रों से पूर्व-दक्षिण-पूर्व की ओर उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ है।