खो- खो खिलाड़ियों को निखारने किया वर्कशाप

खो-खो मैदानी खेलों के सबसे प्राचीनतम रूपों में से एक है जिसका उद्भव प्रागैतिहासिक भारत में माना जा सकता है। मुख्य रूप से आत्मरक्षा, आक्रमण व प्रत्याक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए इसकी खोज हुई थी।

HIGHLIGHTS

  1. खो- खो खेल जिला संघ ने की एक नई पहल
  2. जिले व संभाग के खिलाड़ियों के लिए किया वर्कशाप
  3. वर्कशाप से बेहतर खिलाड़ी उभरकर सामने आएंगे

बिलासपुर। खो- खो खेल के प्रति नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और पुराने खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए जिला संघ ने एक नई पहल की है। उन्होंने एक वर्कशाप का आयोजन किया गया। जिसमें कोच, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों ने जिले व संभाग के खिलाड़ियों को खो-खो खेल के बारीकियां से अवगत कराया। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों में रेलवे के शामिल थे। जिन्होंने प्रशिक्षण के साथ गांव के बच्चों को खेल की बारीकियां के बारे में जानकारी दी।

जिला बिलासपुर खो – खो संघ के सचिव साई कुमार ने बताया कि बिलासपुर जिले में खो-खो को विकसित करने के लिए इस तरह के सेमिनार एवं वर्कशाप का आयोजन लगातार किया जा रहा है। जिस खो -खो के प्रति बच्चों में रूचि आए। इसके अलावा इस खेल की तकनीकी जानकारी मिलने से बेहतर खिलाड़ी उभरकर सामने आएंगे। यहीं खिलाड़ी आगे जाकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पहचान बनाएंगे और शहर का नाम रोशन करेंगे।
 
वर्कशाप के इस अवसर पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे खेल संघ के कोच आपा राव, एस महेश कुमार मैनेजर हैदराबाद एससीएल मुख्य रूप से उपस्थित रहे। संघ का कहना है कि आगे भी इस तरह के आयोजन की तैयारी है। इसका बेहतर प्रतिफल भी मिलेगा।

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