Sawan 2024: एक जलहरी में हैं दो श‍िवलिंग… यह है मान्‍यता, 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजे हैं अलोपी शंकर महादेव

मध्‍य प्रदेश के शिवपुरी जिले के कैलारस में अनूठा अलोपी शंकर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर की अपनी विशेषता है। यह मंदिर अनगिनत श्रद्धालुओं की आस्‍था का केंद्र है। सावन माह में और पर्व विशेष पर बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. मान्‍यता है कि सिद्ध बाबा के अलाेप होने से प्रकट हुईं दो पिंडियां।
  2. अलोपी शंकर महादेव के दर्शनों के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु।
  3. मंदिर में दस वर्ष से अखण्ड रामायण और अखण्ड दीपक जल रहा है।

कैलारस। नगर के प्राचीनतम शिवमंदिर अलोपीशंकर एक हजार वर्ष पुराना है। जिसमें एक जलहरी में दो पिंडियां विराजमान हैं। ऐसा बताया जाता है कि एक हजार साल पहले सिद्ध बाबा बौद्ध गिरी के अदृश्य होने के बाद उनके स्थान से यह दो पिंडियां प्रकट हुई थीं। जो अपने आप में खास है, क्योंकि आमतौर पर एक जलहरी में एक ही पिंडी मौजूद रहती है।

हजारों की संख्या में लोग अभिषेक करने पहुंचते हैं

अलोपीशंकर की प्रसिद्धि दूरदराज तक हैं। सावन मास में जहां अलोपीशंकर के दर्शन करने जिलेभर के लोग पहुंचते हैं। वहीं अन्य प्रांतों से भी हजारों की संख्या में लोग अभिषेक करने पहुंचते हैं। कैलारस में 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर अलोपीशंकर महादेव का मंदिर है। इसके लिए लोग 560 सीढिय़ां चढ़कर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

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  • अलोपी शंकर महादेव मंदिर पर प्रतिदिन ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन मास में यहां हजारों की संख्या में लोग अन्य प्रांतों से भी पहुंचते हैं।
  • अलोपी शंकर महादेव मंदिर पर सैकड़ों की संख्या में कांवड़ चढ़ाई जाती हैं। ऐसी किवदंती है कि इस मंदिर को लाखा बंजारे ने बनवाया था।
  • ऐसा माना जाता है कि लाखा बंजारा शक्कर की बोरियां लेकर बाजार जा रहा था उसी समय सिद्ध बाबा ने उनसे बोरियों के बारे में पूछा था।
  • तब उपहास करते हुए लाखा ने बोरियों में नमक होने की बात कही थी, लेकिन जब लाखा बाजार पहुंचता तो बोरियों में से शक्कर की जगह नमक ही निकला था।
  • इसके बाद वह भागता हुआ पहाड़ी पर पहुंचा, तो वहां से बौद्ध गिरी बाबा अलोप हो चुके थे। उनके बैठने के स्थान से ही दो शिवलिंग निकली। जिन्हें लोग अलोपीशंकर महादेव के नाम से जानते हैं।
  • अलोपी शंकर मंदिर पर प्रतिदिन भंडारों का आयोजन किया जाता है। पिछले दस वर्ष से अखण्ड रामायण हो रही है और अखण्ड दीपक चलाया जा रहा है।

    बस और निजी साधन से आसानी से पहुंच सकते है अलोपी शंकर मंदिर

    अलोपी शंकर महादेव कैलारस नगर में ही मौजूद है। जहां से नेशनल हाइवे 552 गुजरता है। अलोपी शंकर महादेव के लिए मुरैना से बस के जरिए कैलारस पहुंचा जा सकता है। जहां से पैदल ही पहाड़ी पर चढ़कर लोग दर्शन कर सकते हैं। नेशनल हाइवे पर होने की वजह से आवागमन का बेहद सुगम साधन है। हर पांच मिनट में कैलारस के लिए बस उपलब्ध रहती है। वहीं अब जल्द ही रेल सुविधा भी उपलब्ध होगी। ग्वालियर से श्योपुर तक बनाई जा रही ब्राडगेज लाइन का स्टेशन कैलारस में मौजूद है, जहां जल्द ही रेल का संचालन भी शुरू हो जाएगा।

     

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