Premanand Maharaj Katha: वृंदावन जाएं तो कुछ वस्तुएं कभी न लाएं घर, प्रेमानंद महाराज ने बताया किन सामग्रियों की है अनुमति

वृंदावन श्रीकृष्ण का प्रमुख धाम है। बड़ी संख्या में भक्त यहां श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही कुछ वस्तुएं श्रीकृष्ण के आशीर्वाद के तौर पर ले भी जाते हैं। प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने विस्तार से बताया है कि वृंदावन से कौन सी वस्‍तुएं ले जाना चाहिए और कौन-सी नहीं।

HIGHLIGHTS

  1. प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है वृंदावन
  2. श्रीकृष्ण के कई मंदिर हैं मौजूद
  3. यहां श्रीकृष्ण ने की थी लीलाएं

धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj Katha)। हिंदू धर्म में वृंदावन धाम का विशेष महत्व है। यह भारत के प्रमुख और पवित्र तीर्थों में से एक माना जाता है। वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण की स्‍थली है। यहां श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े कई प्रमुख स्थान व मंदिर है। हर साल बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं।

वृंदावन से श्रद्धालु श्रीकृष्ण के आशीवाई के तौर पर कई वस्तुएं अपने साथ भी ले जाते हैं, जिसमें वृंदावन की रज से लेकर भगवान के वस्त्र और मोर पंख शामिल है। हालांकि, कुछ वस्तुएं ऐसा भी है, जिसे वृंदावन से बाहर ले जाने की मनाही होती है। प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने प्रवचन के दौरान इन वस्तुओं के बारे में विस्तार से बताया है।

 

कौन सी वस्‍तुएं न ले जाएं

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, गिरिराज जी को ब्रज से बाहर नहीं ले जाना चाहिए। साथ ही यहां से किसी जीव जैसे तुलसी और पशु-पक्षी को भी साथ नहीं ले जाना चाहिए। प्रेमानंद महाराज ने बताया कि बड़े सौभाग्य के बाद ब्रज में उदय होता है। ऐसे में उस जीव और तुलसी को बाहर ले जाना उत्तम बात नहीं है।

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कौन सी वस्तुएं ले जा सकते हैं

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि बृज से रज ले जा सकते हैं। साथ ही यहां से जल, प्रसाद पोशाक और मुकुट ले जा सकते हैं।

 

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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