परिसीमन की अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

पूर्व विधायक शैलेष पांडेय ने कहा- जनहित की लड़ाई अंतिम सांस तक लगेंगे । जनगणना के बाद जब परिसीमन करना ही पड़ेगा , फिर भी वार्डों की सीमाएँ बदली गई। जिस काम में जनहित छुपा हुआ है उस कार्य को अवश्य ही करना चाहिए और न्याय के मंदिर में पूरा भरोसा है इसलिए नयी याचिका दायर की गई है।

HIGHLIGHTS

  1. अधिसूचना जल्दबाज़ी में प्रकाशित की गई
  2. शासन मंशा जनहित में नहीं दिखी
  3. इससे जनता को आयेगी परेशानी

 बिलासपुर : शासन द्वारा पूरे प्रदेश में परिसीमन के लिए दिशा निर्देश जून माह में दिया,जिसका विरोध बिलासपुर में कांग्रेस कमेटी द्वारा किया गया क्योंकि बिना जरूरत के परिसीमन करना उचित नहीं था क्योंकि इससे शहर की पाँच लाख जनता को परेशानी का सामना करना पड़ेगा और उनके पते बदल जाएँगे जिससे राशन कार्ड,पासपोर्ट,आधार कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज को बदलने की जरूरत पड़ेगी।

पूर्व विधायक शैलेश पांडेय और कांग्रेस के चार ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू,मोती थारवानी,जावेद मेमन,अरविंद शुक्ला द्वारा अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी और गगन तिवारी के माध्यम से उच्च न्यायालय में एक याचिका लगाई गई लेकिन शासन ने हड़बड़ी में और सत्ता का दुरुपयोग करते हुए आयी दावा आपत्तियों को दर किनार कर दिया और सीधे प्रकाशन करवा दिया।

पूर्व विधायक और कांग्रेस कमेटी ने शासन के सामने और ज़िला कलेक्टर के सामने अपना और जनता का पक्ष रखा कि इस परिसीमन में मनमानी किया गया है और सत्ता को लाभ पहुँचाने के इरादे से ये परिसीमन किया जा रहा है न की जनता को लाभ पहुँचाने के लिए परिसीमन किया गया है,लेकिन शासन ने जल्दबाज़ी में परिसीमन की अधिसूचना जारी कर दिया।

उच्च न्यायालय में याचिका पर बहस हुई और अभी अंतिम बहस किया जाना है लेकिन क्योंकि शासन ने परिसीमन की अधिसूचना को ग़ज़ट् में प्रकाशित कर दिया है इसलिए याचिकाकर्ता पूर्व विधायक ने पुनः एक और याचिका दायर किया है जिसमे न्याय की गुहार लगाते हुए उच्च न्यायालय से अपील किया है कि इस जल्दबाज़ी की अधिसूचना को स्टे किया जाये और पूर्व के परिसीमन से ही आगामी निगम चुनाव करवाये जाये।

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