पेरिस ओलिंपिक के बीच छलका छत्‍तीसगढ़ के खिलाड़ियों का दर्द, बोले- ऐसे कैसे आएगा मेडल जब….जानिए क्‍या है जमीनी हकीकत

कुछ खेलों में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा साबित की है, लेकिन वे ओलिंपिक तक पहुंचने में सफल नहीं हुए हैं। आज तक किसी भी खिलाड़ी ने ओलिंपिक में प्रदेश का प्रतिनिधित्व नहीं किया है। हालांकि, राज्य से दो लोग पेरिस ओलिंपिक में शामिल हुए हैं, लेकिन वे खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि पर्यवेक्षक के रूप में पहुंचे हैं।

HIGHLIGHTS

  1. ओलिंपिक में छत्‍तीसगढ़ का एक भी खिलाड़ी नहीं।
  2. छत्‍तीसगढ़ में प्रशिक्षकों के 84 में से 74 पद रिक्त
  3. रायपुर में तीरंदाजी के लिए आवासीय एकेडमी

रायपुर। देशभर में ओलिंपिक का खुमार छाया है। छत्‍तीसगढ़ में भी लोगों और खिलाड़ियों में खुशी है लेकिन एक बात उनके मन को वर्षों से कचोट रही है। वह बात वर्षों से ओलिंपिक में प्रदेश के किसी खिलाड़ी का शामिल न होना है।

कुछ खेलों में खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा जरूरत मनवाया है, लेकिन ओलिंपिक तक पहुंच पाने में सफल नहीं हुए हैं। अब तक कोई खिलाड़ी किसी खेल में ओलिंपिक का प्रतिनिधित्व नहीं किया है। राज्य से दो लोग पेरिस ओलिंपिक में जरूर शामिल हुए हैं, लेकिन ये खिलाड़ी नहीं बल्कि ऑब्जर्वर के रूप में पंहुचे हैं।

 

लोगों के मन में एक बड़ा सवाल है कि ओलिंपिक स्तर के खिलाड़ी अब तक तैयार क्यों नहीं हो पाए हैं, इसके पीछे का कारण क्या है। राज्य सरकार की ओर से खेलों पर प्रत्येक वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। खिलाड़ी तैयार कराने कई एकेडमियां भी संचालित हो रही हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य ओलिंपिक संघ भी काम कर रहा है, लेकिन एक खिलाड़ी ओलिंपिक तक नहीं पहुंच पाया है। राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके कुछ खिलाड़ियों का कहना है कि प्रदेश में ऐसी सुविधाएं ही नहीं हैं, जिनके दम पर राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले के लिए तैयार हो पाए। जो खिलाड़ी सक्षम हैं, वे दूसरे राज्य में जाकर प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं, लेकिन आम व सामान्य खिलाड़ियों के लिए यह एक बेहद मुश्किल काम है।

राज्य में खेलों का इंफ्रास्ट्रक्टर जरूर हैं लेकिन उसका बेहतर उपयोग नहीं हो पा रहा है। यहां की खेल नीति भी हरियाणा-पंजाब राज्यों जैसी नहीं है। राज्य सरकार खेल अलंकरण पुरस्कार देती है, वह भी नान ओलिंपिक खेलों के लिए होता है। ऐसे में ओलिंपिक के खिलाड़ी कैसे तैयार हो पाएंगे।

प्रदेश में आवासीय खेल एकेडमी का अभाव

प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने राज्य सरकार प्रयास कर रही है। इस सिलसिले में अब नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए आरचरी, हॉकी, एथलेटिक्स और बालिका कबड्डी खेल के लिए बिलासपुर के बहतराई में आवासीय एकेडमी बनाई गई है। रायपुर में तीरंदाजी के लिए आवासीय एकेडमी है।

हॉकी की आवासीय एकेडमी तैयार की जा रही है। इन एकेडमियों से खिलाड़ी तैयार होने में कम से कम पांच वर्षों से अधिक समय लगने से इनकार नहीं किया जा सकता है। खेल से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि खेल एकेडमियों को बढ़ाने की जरूरत है। जिन जिलों में खेल प्रतिभाएं निकल रहीं हैं, वहां एकेडमी का निर्माण किया जाना चाहिए।

 

प्रशिक्षकों के 84 में से 74 पद रिक्त

प्रदेश में प्रशिक्षकों के 84 में से 74 पद रिक्त पड़े हुए हैं। दस प्रशिक्षकों के भरोसे 20 से अधिक खेलों के खिलाड़ी हैं। इनमें से आर्चरी (तीरंदाजी), वेट लिफ्टिंग और एथेलेटिक्स के लिए प्रशिक्षकों की नियुक्ति इस वर्ष जुलाई में हुई है। हाकी, साफ्टबाल, कुश्ती, कबड्डी, क्रिकेट और फुटबाल को छोड़कर बाकी खेलों के लिए वर्षों से प्रशिक्षक नियुक्त नहीं हो पाए हैं। प्रशिक्षकों की कमी से खिलाड़ियों को वह लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसकी सरकार खेलों में सुधार करने का दावा कर रही।

खिलाड़ियों का छलका दर्द

छत्‍तीसगढ़ की अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी मृणाल चौबे ने कहा, छत्‍तीसगढ़ में खेलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षण (कोचिंग) की भारी कमी है। खेल एकेडमी का भी अभाव है। वर्तमान में केवल दो जिलों में ही आवासीय एकेडमी संचालित है। ओलिंपिक के लिए यदि आज से खिलाड़ी तैयार करने की शुरूआत की जाए तो कम से कम दस वर्ष लग जाएंगे। जिस स्तर का खेल होता है, उस स्तर के प्रशिक्षण की भी जरूरत होती है। प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस जरूरत है संजोने की।

ओलिंपिक के लिए ग्राउंड स्तर से काम करने करने की जरूरत है। यदि कोई खिलाड़ी जिला स्तर पर प्रदर्शन करता है तो उसे राज्य स्तर के लिए कैसे तैयार करें, इस पर विचार होना चाहिए। ऐसे ही राज्य के बाद राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और फिर ओलिंपिक तक कैसे खिलाड़ी को पहुंचाए, इस पर विचार करने की जरूरत होती है। ओडिशा और मध्यप्रदेश में खिलाड़ियों के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है। यहां के खिलाड़ियों को अब प्रशिक्षण लेने के लिए दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ता है।

छत्‍तीसगढ़ के राष्ट्रीय तैराकी खिलाड़ी ओम ओझा ने कहा, ओलिंपिक में अमेरिका, चीन व अन्य देश ज्यादा से ज्यादा गोल्ड मेडल तैराकी में जीतते हैं। प्रदेश का दुर्भाग्य है कि यहां पर खिलाड़ियों के लिए एक स्वीमिंग पुल नहीं है। तालाब में बच्चे अभ्यास कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच रहे हैं। जब तक सुविधाएं नहीं मिलेगी, खिलाड़ी तैयार होना मुश्किल है। प्रशिक्षक तो किसी को भी बनाया जा सकता है। एक स्कूल में भी प्रशिक्षक होते हैं। जिस स्तर का खेल हो, उस स्तर का प्रशिक्षक होना भी जरूरी होता है।

प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत उन्हें निखारने और सही प्रशिक्षण की है। प्रदेश में नेशनल खेलने वाले खिलाड़ी को पुरस्कार के रूप में राज्य सरकार की ओर से 21 हजार रुपये मिलते हैं, जो ओलिंपिक में शामिल होने वाले एक खिलाड़ी के एक दिन की डाइट के बराबर है। देश में स्वीमिंग का सबसे अच्छा प्रशिक्षण बेंगलुरू में होता है। वहां प्रशिक्षण के लिए एक माह में एक लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जो सभी के लिए संभव नही है। सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ी दूसरे राज्य पलायन करने को मजबूर होते हैं।

 

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