Jagannath Temple Ratna Bhandar: दोबारा खोला गया जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, शुभ मुहूर्त में खजाने की शिफ्टिंग

पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में दूसरी बार तहखाने का ताला खोलने की पूरी प्रक्रिया की जा रही है। बता दें कि मंदिर के तहखाने में स्थित रत्न भंडार में एक बाहरी और एक आंतरिक कक्ष है। मंदिर की रत्न भंडार कमेटी के मुताबिक शुभ मुहूर्त में खजाना खोला जाएगा। इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।

HIGHLIGHTS

  1. जगन्नाथ मंदिर में सुबह 8 बजे ही दर्शन करने पर रोक लगी है।
  2. सभी कीमती सामान अस्थायी रत्न भंडार में ट्रांसफर हो रहे हैं।
  3. केवल अधिकृत व्यक्ति, सेवकों को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति।

धर्म डेस्क, इंदौर। Jagannath Temple Ratna Bhandar: पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अधिकारियों ने भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दिया है। एक बार फिर जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोला गया है, जिसके कारण भक्तों को भगवान के दर्शन नहीं करने दिए जा रहे हैं।

कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट के मुताबिक, आज फिर से भीतर रत्न भंडार से कीमती सामान और आभूषणों को सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में शिफ्ट किया जा रहा है। इसी कारण मंदिर में भक्तों की एंट्री बंद कर दी गई है।

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14 जुलाई को खोला गया था रत्न भंडार

बता दें कि शुभ मुहूर्त में अधिकारियों की टीम ने रत्न भंडार कक्ष में प्रवेश किया। यह मुहूर्त दोपहर 12.15 बजे तक रहेगा। इसी दौरान खजाने को अस्थायी रत्न भंडार में शिफ्ट किया जाना है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर का रत्न भंडार बेशकीमती रत्न आभूषण, सोने चांदी की मुद्राएं, धातु की मूर्ति और कई चीजों से पूर्ण है। 46 साल बाद उनके आकलन के लिए 14 जुलाई को रत्न भंडार खोला गया था। भीतरी द्वार का ताला भी तोड़ा गया था, लेकिन फिर इसे 2 दिन के लिए बंद कर दिया गया।

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1978 में हुई थी खजाने की गिनती

  • आज 18 जुलाई को इसे दोबारा खोला गया है। रत्न भंडार की संपत्ति की समय-समय पर गिनती होती है और उनके लिए एक सूची भी तैयार की जाती है।
  • श्रद्धा और सुरक्षा को देखते हुए कीमत का आकलन बताया नहीं जाता है।
  • जब 1978 में खजाने के आभूषण और रत्न की गिनती हुई थी, तो उसमें 72 दिन लग गए थे।
  • इस बार अपेक्षा की जा रही है कि कम दिन लगेंगे। बता दें कि भगवान जगन्नाथ मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में हुई थी।
  • अलग-अलग समय पर अलग-अलग राजाओं ने मंदिर में सोने-चांदी के आभूषण और मुद्राओं को सुरक्षित रखा था।
  • लुटेरों ने कई बार खजाने को लूटने के लिए मंदिर पर आक्रमण किया। मुगल काल में भी कई बार मंदिर को लूटा गया।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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