यूथ असेंबली में विधायक बनकर पहुंचे युवाओं ने उठाया हसदेव जंगल का मुद्दा, विपक्ष के सवाल पर मंत्री ने दिए जवाब
''क्लाइमेट चेंज फार यूथ'' की थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के 146 ब्लॉक से लगभग 200 युवा प्रतिभागियों ने विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए विधायक के रूप में अपने क्षेत्र में विकास के मुद्दों को उठाया। जिनमें 16 युवा वक्ताओं जलवायु परिवर्तन की समस्या पर अपने विचार रखें।
HIGHLIGHTS
- मंत्री और विधायक बनकर छत्तीसगढ़ यूथ एसेंबली पहुंचे युवा
- 146 ब्लॉक से 200 जनप्रतिनिधि कार्यवाही में हुए शामिल
- यूथ एसेंबली प्रश्नकाल में पक्ष और विपक्ष के बीच हुआ बहस
रायपुर। विधानसभा में मानसून सत्र (Monsoon Session in Chhattisgarh) की शुरुआत से पहले पक्ष और विपक्ष में जमकर बहस हुई। विधानसभा अध्यक्ष के अभिभाषण के बाद सचिव ने विधानसभा के सदस्यों को पद की शपथ दिलाई। इसके बाद प्रश्नकाल प्रारंभ हुआ। युवा विधायकों ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों की समस्याओं के साथ जलवायु में हो रहे परिवर्तनों को लेकर प्रश्न उठाए।
सबसे पहले उत्तर बस्तर कांकेर के युवा विधायक हर्ष कुमार डोंगरे ने हसदेव जंगल के मुद्दे को सदन में उठाते हुए कहा कि हसदेव जंगल में लगभग 98,000 वृक्ष काटे जा चुके हैं, डोंगरे ने आंकड़े बताते हुए सत्ता पक्ष के मंत्री से पूछा कि इन वृक्षों की पूर्ति कैसे होगी। इसके उत्तर में मंत्री मानसी चंद्रवंशी ने बताया कि संगठन में शक्ति होती है, यदि हम सभी प्रदेशवासी प्रतिवर्ष एक एक वृक्ष लगाएं तो कटे वृक्षों से ज्यादा वृक्ष लगाए जा सकते हैं।
दरअसल, युवा नेतृत्व को बढ़ावा देना और युवाओं में राजनैतिक समझ को विकसित करने के लिए नेहरू युवा केंद्र और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में राज्य स्तरीय यूथ असेंबली, युवा गोठ का आयोजन विधानसभा परिसर स्थित भवन में किया गया।
”क्लाइमेट चेंज फार यूथ” की थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के 146 ब्लॉक से लगभग 200 युवा प्रतिभागियों ने विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए विधायक के रूप में अपने क्षेत्र में विकास के मुद्दों को उठाया। जिनमें 16 युवा वक्ताओं जलवायु परिवर्तन की समस्या पर अपने विचार रखें।
दो घंटे चला प्रश्नकाल
प्रश्नकाल के अंतर्गत रायगढ़ से युवा विधायक नवीन कुमार दुबे ने सत्ता पक्ष से प्रदूषण के मामले में ध्यान देने के लिए आग्रह किया जिसके उत्तर में मंत्री ने भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का वर्णन किया। इसी प्रकार धमतरी जिले के सिहावा विधानसभा क्षेत्र से युवा विधायक गुलाब सिंह वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा में जल प्रदूषण से संबंधित प्रश्न पूछे।
इनके अलावा अन्य विधायकों ने मृदा प्रदूषण, उद्योगों से होने वाले प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के मामले में युवाओं की भूमिका से संबंधित प्रश्न पूछे। संबंधित विभाग के मंत्रियों ने अपने -अपने अनुसार उत्तर दिए। इसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष के आदेशानुसार सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई।
जलवायु परिपर्तन विषय पर लगभग दो घंटे चले बहस के बाद निष्कर्ष के 10 बिंदु को विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह को सौंपा गया। डा. रमन ने कहा कि विधानसभा सत्र में जरूर इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा- अपनी वसुधा का कल्याण कभी न भूलें
यूथ असेंबली का प्रारंभ युवा विधानसभा अध्यक्ष देवाशीष पटेल के अभिभाषण से प्रारंभ हुआ। अभिभाषण में उन्होंने कहा कि यह सदन छत्तीसगढ़ महतारी के समृद्धि एवं विकास का सदन है, यह सदन छत्तीसगढ़ के नागरिकों के विचार, अभिव्यक्ति और उपासना को सुनिश्चित करती है। उन्होंने यूथ असेंबली के विषय क्लाइमेट चेंज का वर्णन करते हुए कहा कि हम अपनी वसुधा का कल्याण कभी न भूलें। तत्पश्चात जनरल सेक्रेटरी रश्मि वर्मा द्वारा नवनिर्वाचित युवा विधायकों को शपथ दिलाया गया।
कोविड काल में पता चला आक्सीजन की कीमत : डा. रमन सिंह
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा के अध्यक्ष डा. रमन सिंह शामिल हुए और उन्होंने युवाओं के समझ की सराहना की। उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान देश और विश्व को आक्सीजन की कीमत पता चली। जो प्रकृति हमें निश्शुल्क देती है, वह लाखों रुपये में भी नहीं मिल रहा था। पृथ्वी में 0.5 प्रतिशत पानी पीने योग्य है, उसे भी दूषित करते जा रहे है।
भूजल स्तर नीचे जा रहा है। प्रकृति का संतुलन समाप्त होते जा रहा है। प्रकृति ने भरपूर ऊर्जा स्त्रोत का उपयोग करना होगा। सभी को मिलकर काम करना होगा। डा. रमन सिंह ने कहा कि युवाओं के लिए मोबाइल बड़ी बीमारी बनती जा रही है। इसका सही और सीमित उपयोग करेंगे तभी आइएएस एपीएस बन सकेंगे।
शिक्षा के साथ प्रकृति के प्रति बेहतर व्यवहार भी जरूरी : मंत्री कश्यप
विशिष्ठ अतिथि वन एवं जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि शिक्षा के साथ प्रकृति के प्रति बेहतर व्यवहार भी जरूरी है। उन्होंने किस्सा सुनाया कि एक बार चीतल की सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। तब विद्ववान ने कि चीतल की मृत्यु सड़क में आने से नहीं हुआ। चीतल की मृत्यु इसलिए हुआ क्योंकि सड़क जंगल में आ गया। शिक्षित होने के बाद हमने सभ्याता खाे दिया और जंगल काटना शुरू कर दिया। इसे संरक्षित करने की आवश्कता है।
उन्होंने युवाओं से कहा कि जिम में नहीं, रोड में साइक्लिंग करें। गांव वालों से सीखने की जरूरत हैं, सीमित संसाधन में जीते है। इको फ्रेंडली होकर जीवन को आगे बढ़ाए। इस दौरान सचिव विधानसभा दिनेश शर्मा, नेहरू युवा केंद्र के स्टेट डायरेक्टर श्रीकांत पांडे, यूनिसेफ चीफ (उड़ीसा और छत्तीसगढ़) विलियम जूनियर, पर्यावरण परिवर्तन विशेषज्ञ श्वेता पटनायक और नेहरु युवा केंद्र व यूनिसेफ समेत विधानसभा सचिवालय के अधिकारी-कर्मचारी और नागरिक उपस्थित रहे।
रात 12 बजे तक चला अभ्यास : रश्मि वर्मा
यूथ असेंबली में विधानसभा सचिव की भूमिका निभाने वाली रश्मि वर्मा (रायपुर) ने बताया कि चर्चा से पहले गुरूवार को प्रदेशभर से पहुंचे प्रतिनिधियों ने जमकर अभ्यास किया। दोपहर से अभ्यास शुरू हुआ जो शाम तक चला। रात के खाने के बाद 8 बजे से रात 12 बजे तक कार्यवाही के लिए अभ्यास किया।
नेतृत्व क्षमता विकसित होगी : रवि त्रिपाठी
अंबिकापुर से विधानसभा के सत्र में शामिल हाेने पहुंचे रवि त्रिपाठी ने कहा कि नेहरू युवा संगठन से जुड़कर लगातार क्षेत्र के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। लेकिन पहली बार जनता के मुद्दों को सदन में सभी के समक्ष रखने का अवसर मिला। इस गतिविधि से सभी युवाओं में निश्चित रूप से नेतृत्व क्षमता विकसित होगी।
ऊर्जा के वैकल्पित स्त्रोत का अधिक उपयोग हो : गुलाब व डिंपल
जलवायु परिवर्तन को लेकर गुलाब सिंह वर्मा (धमतरी) और डिंपल डड़सेना (महासमुंद) ने कहा कि लोग पोधे तो लगाते हैं, लेकिन उनका संरक्षण और संवर्धन नहीं कर पाते। देखरेख के आभाव में पौधे वृद्धि नहीं कर पाते। जरूरी नहीं हर कोई पौधे लगाए। किसी पौधे के संवर्धन में भी समाज अपना योगदान दे सकता है।
पौधों का संरक्षण जरूरी : मानसी चंद्रवंशी
कवर्धा का प्रतिनिधित्व कर रही मानसी चंद्रवंशनी ने कहा कि प्रकृति में अधिक मात्रा में ऊर्जा के स्त्रोत है। सूरज की गर्मी से सौर ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। हवा और पानी से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इसलिए प्राकृतिक ऊर्जा के बदले वैकल्पित स्त्रोत से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए।
चर्चा के युवाओं ने जलवायु परिवर्तन रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए 10 बिंदु पर घोषणा पत्र तैयार किया
-हर घर और सभी संस्था, यथा शाला, आंगनबाडी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत भवन में सौर ऊर्जा और एलईडी लाइट का उपयोग हो।
-पानी की बर्बादी रोकने के लिए हर घर और संस्थान में पानी के मीटर लगे।
-प्रत्येक संस्था और सामुदायिक भवन वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण करें।
-घरेलू-स्तर पर किचन गार्डन और समुदाय स्तर पर पौधारोपण हो।
-कृषक कम पानी वाली फसलों की खेती, फसल विविधीकरण अभ्यास और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें
-घरेलू, कृषि और पशु अपशिष्ट का उपयोग खाद बनाने के लिए हो।
-खरीदारी के लिए प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े के बैले का प्रयोग सुनिश्चित किया जाए।
-पुराने फर्नीचरों और इलेक्ट्रानिक उपकरणों को मरम्मत कर उसका उपयोग हो।
-समुदाय और संस्था अपने स्तर पर ग्रीन क्लाइमेट युवा क्लब या शुरूआत करें।
-जन-जन तक मिशन लाइफ के संदेशों को पहुंचने के लिए सभी विभागों के पदाधिकारों और कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हो और विभाग-वार कार्य-योजना बनें।