Yamraj Ki Sabha: आखिर कैसी होती है यमराज की सभा, महाभारत में मिलता है वर्णन"/>

Yamraj Ki Sabha: आखिर कैसी होती है यमराज की सभा, महाभारत में मिलता है वर्णन

HIGHLIGHTS

  1. कार्यों के आधार पर व्यक्ति को भेजा जाता है स्वर्ग या नरक
  2. यम की सभा में चित्रगुप्त रखते हैं आत्माओं का लेखा-जोखा
  3. यमराज की सभा बेहद ही विशालकाय और तेजमय है

धर्म डेस्क, इंदौर। Yamraj Ki Sabha: धार्मिक ग्रंथों में यमराज को मृत्यु का देवता माना गया है। भौतिक शरीर के नष्ट हो जाने के बाद, व्यक्ति की आत्माओं को यमराज के सामने उपस्थित होना पड़ता है, जहां उन्हें उनके कार्यों के आधार पर स्वर्ग या नरक भेजा जाता है। वहीं, यमराज के सहयोगी चित्रगुप्त आत्माओं के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यमराज की सभा कैसी होती है। इसके बारे में महाभारत महाकाव्य में विस्तार से बताया गया है। आइए, जानते हैं कि यमराज की सभा में क्या-क्या होता है।

आनंद देने वाली यमराज की सभा

महाभारत में यमराज की सभा का वर्णन करते हुए बताया है कि सभा तेजोमयी विशाल है। इसकी लंबाई और चौड़ाई सौ योजन के बराबर है। यम की सभा का प्रकाश सूर्य के समान है। इससे सभी ओर से प्रकाश निकलता है। यह सभा इच्छानुसार रूप धारण करने वाली बताई गई है। यह न ही अधिक शीतल है और न ही अधिक गर्म है। यह मन को आनंद देने वाली है।

इस सभा के अंदर न भूख लगती है और न ही प्यास लगती है। न ही इसके अंदर शोक है। यहां किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घटित नहीं होती है। यहां थकावट भी नहीं होती है। यहां पर स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ प्रचुर मात्रा में होता है।

दीर्घकाल तपस्या के बाद हुआ सभा का निर्माण

महाभारत के अनुसार, यमराज की सभा में हृदय को प्रिय लगने वाली सुंदर और मनोहर वस्तुएं मौजूद हैं। यहां पवित्र सुगंध फैलाने वाली पुष्प मालाएं और इच्छा अनुसार फल देने वाले वृक्ष हैं। यहां ठंडे और गर्म दोनों प्रकार के स्वादिष्ट जल उपलब्ध होते हैं। यम की सभा में बहुत सारे पुण्यात्मा और निर्मल हृदय वाले ब्रह्मर्षि प्रसन्नता पूर्वक बैठकर यम की उपासना करते हैं। अनेक महान अश्वमेध यज्ञों द्वारा यम लोक में ही उपासना करते हैं।

यम की सभा बाधारहित है। यह रमणीय और इच्छा अनुसार गमन करने वाली है। विश्वकर्मा ने दीर्घकाल तक तपस्या करके इस सभा का निर्माण किया है। कठोर तपस्या और उत्तम कार्य करने वाले व्यक्ति, सत्यवादी, शांत, सन्यासी, अपने पुण्य कर्मों से पवित्र होने वाले इस सभा में आते हैं। यहां ये सभी निर्मल वस्त्र धारण करते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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