Paper Leak: पेपर लीक को लेकर सतर्कता, कड़ा कानून बनाने की तैयारी में मोहन यादव सरकार
HIGHLIGHTS
- परीक्षा अधिनियम 1937 में होगा संशोधन
- कई परीक्षा में पेपर लीक पर सरकार सतर्क
- वरिष्ठ सचिव समिति के सामने रखा प्रारूप
भोपाल। हाल ही में नीट सहित अन्य परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों या पेपर लीक को लेकर मध्य प्रदेश सरकार अत्यंत सतर्क है। राज्य सरकार अब पेपर लीक व परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की तैयारी में है।
वस्तुत: पेपर लीक की घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 लागू करने के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
स्कूल शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षाएं अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी में है। इसको लेकर प्रारंभिक बैठकें हो चुकी हैं और एक वरिष्ठ सचिव समिति के समक्ष प्रारूप भी रखा जा चुका है, लेकिन अब इसमें केंद्रीय अधिनियम के अंतर्गत जारी नियम के अनुरूप प्रावधान किए जाएंगे।
अध्यादेश के जरिए हो सकता है लागू
यदि यह कार्य 1 जुलाई से प्रारंभ हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र की समाप्ति तक पूरा हो गया तो संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा अन्यथा अध्यादेश के माध्यम से प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।
मध्य प्रदेश में राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन मंडल, विश्वविद्यालय, माध्यमिक शिक्षा मंडल समेत अन्य एजेंसियों परीक्षाएं संचालित करती हैं। अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें सभी एजेंसियों द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं की निगरानी व्यवस्था हो सके।
मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षाएं अधिनियम माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के संबंध में प्रावधान हैं। इसकी धारा-D में जो व्यक्ति अनुचित साधन का प्रयोग करता या करवाता है, उसे 3 वर्ष के कारावास और 5 हजार रुपये अर्थदंड का प्रावधान है।
10वीं और 12वीं की परीक्षा के पिछले वर्ष हुए पेपर लीक मामले को गंभीरता से लेते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल की कार्यपालिका समिति ने 10 साल की सजा और दस लाख रुपये अर्थदंड का प्रावधान किया था। स्कूल शिक्षा विभाग ने अन्य राज्यों की व्यवस्थाओं का अध्ययन कराने के बाद अधिनियम में संशोधन की तैयारी करके वरिष्ठ सचिव समिति में प्रारूप प्रस्तुत किया था, मगर सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 के नियम जारी होने के कारण अब इसे समग्रता में तैयार करने के निर्देश वरिष्ठ सचिव समिति ने दिए हैं।
होगी कड़ी कानूनी कार्रवाई
उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि परीक्षा की पवित्रता को भंग करने वालों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। इसके लिए जल्द ही कानून लागू किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के अधिनियम के दायरे में अभी परीक्षाएं सम्मिलित होंगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधने की रोकथाम) अध्यादेश के प्रावधानों को भी देखा जा रहा है, जिसमें फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवा योजना वेबसाइट बनाने को भी दंडनीय अपराध बनाया गया है।
अधिनियम के प्रावधान के उल्लंघन पर न्यूनतम दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और 1 करोड़ रुपये तक के दंड का प्रावधान है। साथ ही यदि परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को साल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों तथा सेवा प्रदाताओं को हमेशा के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। वसूली के लिए राजस्व की वसूली की तरह कुर्की की जा सकेगी और जमानत भी आसानी से नहीं मिल सकेगी।
केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर लीक होने पर कार्रवाई केंद्रीय कानून के अनुरूप होगा। यदि प्रदेश की किसी परीक्षा का पेपर अन्य राज्य में लीक हो जाता है तो उस पर प्रदेश का कानून लागू होगा। सामान्यत: राज्य द्वारा बनाए जाने वाले कानून का आधार केंद्रीय कानून के प्रावधान होते हैं।