जेल में किसी का सिर फूटा तो कोई भूखा-प्यासा रहा, जानिए छत्तीसगढ़ के आंदोलनकारियों से इमरजेंसी का काला सच
50 Years Of Emergency: 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल घोषित हुआ था। इस दौरान इंदिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध षडयंत्र रचने के आरोपों में कई लोगों को जेल भेज दिया गया। प्रदेश सरकार ने पांच साल के बाद 350 मीसाबंदियों (लोकतंत्र सेनानी) को पेंशन जारी की है। आपातकाल का दर्द उनके दिलों में आज भी ताजा है।
HIGHLIGHTS
- आपातकाल का दर्द छत्तीसगढ़ के आंदोलनकारियों के दिलों में आज भी ताजा
- इंदिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के आरोप में कई भेजे गए थे जेल
- इंदिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध षडयंत्र रचने के आरोपों में कई लोगों को भेजा गया था जेल
50 Years of Emergency: रायपुर। 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल घोषित हुआ था। इस दौरान इंदिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध षडयंत्र रचने के आरोपों में कई लोगों को जेल भेज दिया गया। प्रदेश सरकार ने पांच साल के बाद 350 मीसाबंदियों (लोकतंत्र सेनानी) को पेंशन जारी की है। आपातकाल का दर्द उनके दिलों में आज भी ताजा है। अलग-अलग शहरों के लोकतंत्र सेनानियों ने अपनी कहानी बयां कर दर्द को साझा किया। यहां पढ़िये चुनिंदा कहानियां…।
पानी मांगने पर पेशाब पीने को कहा जाता
26 जून को भिलाई-दुर्ग में सक्रिय जनसंघ व आरएसएस के सभी प्रमुख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। छह महीने बाद छात्रों ने भी अपनी गिरफ्तारी दी। जेल में छात्रों को न पीने को पानी मिलता और न ही भोजन। जमकर पिटाई एवं प्रताड़ना मिली। जेल से ही हमने बीएसपी प्रथम वर्ष की परीक्षा दी थी। हाथ में हथकड़ी बांधकर हमें परीक्षा केंद्र तक लाया जाता था। जेल में अच्छी पढ़ाई के बावजूद सभी विषय में शून्य अंक ही मिले थे। मेरे पिता स्व. राजकिशोर सिंह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे, मैं भी बालकाल्य से ही संघ से जुड़ा हूं। उस दिन सत्याग्रही जिस गली से गुजरते लोग फूल बरसाते रहे, पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही थी। शाम साढ़े पांच बजे सभी को गिरफ्तार किया। रात भर प्रताड़ना दी गई। पानी मांगने पर पेशाब पीने को कहा जाता था। दो जनवरी को सबको थाने में इकट्ठा किया गया। शाम तक पूछताछ की गई। पुलिस वाले यह जानना चाहते थे कि आखिर किसके कहने पर यह लोग गिरफ्तारी देने आए हैं। शाम सात बजे सभी को रायपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। – योगेंद्र सिंह भिलाई