Katni News : कटनी में निपनिया के बाद अब रीठी की चिरौंजी को मिलेगी पहचान"/>

Katni News : कटनी में निपनिया के बाद अब रीठी की चिरौंजी को मिलेगी पहचान

Katni News : जिले के निपनिया गांव व उससे जुड़े गांवों के आदिवासी परिवारों को जोड़कर उनके यहां के जंगलों में होने वाले चार के पेड़ों की चिरौंजी को ब्रांड का रूप दिया गया। अब जल्द ही जिले की रीठी तहसील क्षेत्र के एक दर्जन गांवों के आदिवासी परिवारों को एकजुट करते हुए जंगलों की चिरौंजी को ब्रांड बनाया जाएगा और लोगों को रोजगार से जोड़ा जाएगा।

HIGHLIGHTS

  1. जिला प्रशासन ने प्रथम चरण में समूह का निर्माण कराया।
  2. चार की गुठली को एकत्र करने का काम प्रारंभ किया है।
  3. ऋण उपलब्ध कराते हुए इकाई स्थापित कराई जाएगी।

Katni News : कटनी। जल्द ही बैंक के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराते हुए इकाई स्थापित कराई जाएगी, जिसके जरिए चिरौंजी को मशीनों से निकालने के बाद उसकी पैकिंग कर ब्रांड के रूप में उसे बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। इससे पहले आदिवासी परिवारों से व्यापारी सस्ते दाम में चिरौंजी खरीद लेते थे और उससे अच्छा खासा मुनाफा कमाते थे। अब वह लाभ सीधे वन ग्रामों के आदिवासी परिवारों को मिलेगा।

एक दर्जन गांवों को मिलाकर बनाया समूह

रीठी तहसील के कुपिया, वसुधा, चिरूहला, नैंगवा, खुसरा, कुड़ाई, रमपुरा, सूखा, कैना, टिहकारी सहित अन्य गांवों में रहने वाले आदिवासी परिवारों को रोजगार से जोड़ने और जंगल की चिरौंजी को ब्रांड बनाने के लिए कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के माध्यम से समूह बनाया गया है, जो इकाई का संचालन करेगा। समूह को उन्नति बहुउद्देशीय संस्था नाम दिया गया है।

इन गांवों के जंगलों से लगे साढ़े तीन हजार चिरौंजी के पेड़ हैं

माध्यम से आदिवासी परिवारों की उन्नति का साधन जुटाया जाएगा। इन गांवों के जंगलों से लगे साढ़े तीन हजार चिरौंजी के पेड़ हैं। जिनके फलों को एकत्र करने का काम आदिवासी परिवार कर रहे हैं अौर उससे यूनिट लगाने के बाद चिरौंजी निकालने का कार्य किया जाएगा। कलेक्टर अवि प्रसाद ने इन गांवों को कुछ दिन पूर्व भ्रमण किया था और वहां पर चिरौंजी के पेड़ों की संख्या को देखते हुए प्राेजेक्ट तैयार कराने के निर्देश दिए थे।

कैना के पास लगाई जाएगी इकाई

वन क्षेत्र के गांवों में बिजली की समस्या होने के कारण इकाई के लिए मशीनें लगाने का कार्य जंगल से बाहर कैना गांव के पास इकाई की स्थापना कराई जाएगी। जिसके लिए समूह को आत्मा परियोजना के अधिकारी बैंक से ऋण उपलब्ध कराएंगे और बैंक से राशि उपलब्ध न होने की दशा में दूसरी योजना से चिरौंजी निकालने और पैकिंग की मशीन सहित अन्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के साथ ही अब अधिकारी इकाई की स्थापना को लेकर बैंकों से संपर्क कर रहे हैं, ताकि राशि उपलब्ध कराते हुए कार्य प्रारंभ कराया जा सके।

15 सौ रुपये किलो तक दाम

जंगलों में निकलने वाली चार की चिरौंजी की कीमत वर्तमान में बाजार में 15 सौ रुपये किलोग्राम तक है। गांवों से व्यापारी आदिवासी परिवारों से यही चिरौंजी सस्ते दाम में खरीदते हैं और बाजारों में पैकिंग करके उसे महंगे दाम में बेचते हैं। चिरौंजी का उपयोग लोग ड्राइफूड्स के रूप में करते हैं और उसकी मांग बाजारों में अच्छी खासी होती है। इससे पहले जिले के निपनिया व उससे लगे गांवों के आदिवासी परिवारों का समूह बनाकर जिला प्रशासन ने इकाई की स्थापना दुर्गा बहुउद्देशीय समूह के रूप में की थी और वहां पर कई परिवार रोजगार से जुड़े हैं तो निपनिया की चिरौंजी को ब्रांड बनाकर बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है।

निपनिया के बाद अब रीठी के आदिवासी ग्रामों के परिवारों का समूह बनाकर जंगल में होने वाली चिरौंजी को ब्रांड का रूप देने का कार्य कराया जा रहा है। इसके लिए उन्नति समूह का गठन किया गया है और कैना के पास इकाई स्थापित कराने के लिए बैंक से राशि उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। पहले चरण में आदिवासी परिवार चार की गुठली एकत्र करने का कार्य कर रहे हैं और इकाई स्थापित होते ही उसकी चिरौंजी की पैकिंग कराते हुए उसे बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे लोगों को अच्छे दाम मिलेंगे और रोजगार का अवसर भी बढ़ेगा।

रजनी चौहान, प्रभारी आत्मा परियाेजना कटनी

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