CG Lok Sabha Result 2024: भ्रष्टाचार में फंसे नेताओं और हारे हुए मोहरों पर दांव खेलकर हारी कांग्रेस, अंतर्कलह भी है हार का कारण
CG Lok Sabha Election Result 2024: छह महीने पहले तक अर्श पर रूप छत्तीसगढ़ कांग्रेस की विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में भी करारी हार हुई है। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा 10 तो कांग्रेस केवल एक सीट ही जीत पाई।
HIGHLIGHTS
- कांग्रेस की पराजय की वजह अंतर्कलह
- गुटबाजी और नेतृत्व क्षमता का अभाव
CG Lok Sabha Election Result 2024: रायपुर। छह महीने पहले तक अर्श पर रूप छत्तीसगढ़ कांग्रेस की विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में भी करारी हार हुई है। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा 10 तो कांग्रेस केवल एक सीट ही जीत पाई। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस की बुरी हार की वजह पार्टी के भीतर मची अंतर्कलह, गुटबाजी, नेतृत्व क्षमता का अभाव है। इसके अलावा कांग्रेस का टिकट वितरण फार्मूला भी इसके लिए जिम्मेदार रहा है। खा
सकर भ्रष्टाचार के मामले में फंसे नेताओं और विधानसभा चुनाव में हारे हुए नेताओं पर पार्टी ने दोबारा दांव खेला था, जबकि भाजपा ने आठ नए चेहरों को मैदान में उतारा था। कांग्रेस ने केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच व कार्रवाईयों की गिरफ्त में रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पार्टी ने राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया था।
भूपेश पर महादेव आनलाइन सट्टा एप मामले में ईडी की जांच के बाद ईओडब्ल्यू भी एफआइआर कर जांच कर रही है। इसी तरह शराब घोटाले में आरोपित रहे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी कांग्रेस ने बस्तर से चुनावी मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं, चर्चित कोयला घोटाला मामले में आरोपित भिलाई के विधायक देवेंद्र सिंह यादव को भी कांग्रेस ने बिलासपुर से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया था। इन तीनों नेताओंं को पराजय का मुंह देखना पड़ा है।
कांग्रेस ने इन हारे हुए नेताओं को दी थी टिकट
कांग्रेस ने इस चुनाव में विधानसभा चुनाव में हारे हुए नेताओं पर दांव खेला था। इसमें पूर्व गृह मंत्री व कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू को महासमुंद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। वह विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण सीट पर भाजपा के ललित चंद्राकर से हार गए थे। जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता डा. शिव डहरिया को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था।
डहरिया भी विधानसभा चुनाव 2023 में आरंग विधानसभा सीट से हार गए थे। उन्हें भाजपा के गुरु खुशवंत साहेब ने हराया था। इसी तरह रायपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा था वह भी विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। कांकेर लोकसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस ने पिछली बार हुए लोकसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी बीरेश ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा था।
कांग्रेस की हार के पांच कारण
भ्रष्टाचार का मुद्दा रहा हावी
विधानसभा की तर्ज पर भाजपा ने लाेकसभा चुनाव में भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए शराब घोटाला से लेकर कोयला घोटाला, महादेव एप आनलाइन सट्टा घोटाला, गोबर-गोठान घोटाला और पीएससी घोटाला जैसे मुद्दों को भाजपा ने भुनाया। कांग्रेस इस मामले में मजबूती से पलटवार नहीं कर पाई।
टिकट वितरण में चूक
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस ने दुर्ग संभाग के ही चार नेताओं को चार लोकसभा सीट से उतारा। इससे क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरण का संतुलन बिगड़ गया। इसमें दुर्ग से राजेंद्र साहू, राजनांदगांव से भूपेश बघेल, बिलासपुर से देवेंद्र सिंह यादव और महासमुंद से ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा। इनमें ताम्रध्वज साहू व डा. शिव डहरिया जो कि विधानसभा चुनाव में हार चुके थे, उन पर दोबारा दांव खेला। इसी तरह कांकेर सीट पर कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर पर दोबारा दांव खेला था, वह पिछली बार लोकसभा में चुनाव हार गए थे।
गुटबाजी-अंतर्कलह
भूपेश को राजनांदगांव का प्रत्याशी बनाए जाने पर कांग्रेस का एक धड़ा नाखुश रहा। भूपेश पर महादेव एप मामले में मामला दर्ज होने के बाद पीसीसी डेलिगेट रामकुमार शुक्ला ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर राजनांदगांव लोकसभा सीट के प्रत्याशी को बदलने की मांग की थी। दाऊ सुरेंद्र वैष्णव ने भी स्थानीय नेता को प्रत्याशी बनाने की मांग की थी।
प्रदेश का लचर संगठन
कांग्रेस सेवा दल, महिला कांग्रेस, सर्वोदय, यूथ कांग्रेस जैसे संगठन पार्टी के लिए समन्वय से काम नहीं कर पाए। पार्टी ने विधानसभा चुनाव के तीन महीने पहले सांसद दीपक बैज को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार के बीच में समन्वय करने के लिए उनके पास समय कम रहा। विधानसभा में हार के बाद भी पार्टी ने अपने संगठन में कोई विशेष फेरबदल नहीं किया। राजनीतिक प्रेक्षकों के अुनसार कांग्रेस के भीतरी संगठनों में ही अपने नेतृत्व के प्रति विश्वास की कमी नजर आई, जिसका लाभ सीधे तौर पर भाजपा को मिला है।
प्रचार-मुद्दे दोनों कमजोर
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में छह चुनावी सभाएंं हुईं। कांग्रेस ने पांच न्याय और 25 गारंटियों को मतदाताओं तक पहुंचाने की कोशिश की लेकिन मुद्दे अधिक प्रभावी नहीं हो पाए।महिलाओं को एक लाख सालाना देने की घोषणा पर महिलाओं ने विश्वास नहीं किया।