Bilaspur News: इलाज में बरती लापरवाही, चिकित्सक व अस्पताल प्रबंधन पर उपभोक्ता आयोग ने ठोंका 10 लाख का जुर्माना
स्वजन ने अस्पताल प्रबंधन से डिस्चार्ज टिकट और समरी शीट मांगी। यह उपलब्ध कराने के बजाय झूठी रिपोर्ट दे दी। स्वजन ने अस्पताल प्रबंधन और डाक्टर को नोटिस भेजा, लेकिन जवाब नहीं दिया गया। मामले की सुनवाई उपभोक्ता आयोग में हुई।
HIGHLIGHTS
- उपभोक्ता आयोग का फैसला।
- स्वजनों ने इलाज में लापरवाही के अलावा समय पर मरीज को डिस्चार्ज ना करने का लगाया था आरोप।
- अस्पताल प्रबंधन व सर्जन के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना।
बिलासपुर। शहर के मगरपारा स्थित निजी अस्पताल मगरपारा स्थित न्यू वेल्यू हास्पिटल में इलाज के नाम पर बड़ी लापरवाही सामने आई है। मृत युवक के स्वजन ने उपभोक्ता आयोग में वाद दायर कर अस्पताल प्रबंधन व सर्जन पर इलाज में लापरवाही के चलते मौत का आरोप लगाया था। मामले की सुनवाई के बाद आयोग ने अस्पताल प्रबंधन व सर्जन के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं और मनमानी पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए आयोग ने आदेश की कापी मेडिकल काउंसिल को भेजने के निर्देश दिए हैं।
मंगला के दीनदयाल कालोनी निवासी छोटेलाल टंडन के गले में दर्द और दोनों हाथों में कमजोरी की परेशानी थी। स्वजन उसे 12 नवंबर 2016 को इलाज के लिए मगरपारा स्थित न्यू वेल्यू हास्पिटल लेकर आए थे। यहां लेप्रोस्कोपिक सर्जन डा. ब्रजेश पटेल ने एमआरआइ कराने कहा।
एमआरआइ रिपोर्ट के बाद डा पटेल ने युवक के आपरेशन की सलाह दी। इस पर स्वजन ने इलाज व अस्पताल में सुविधाओं के संबंध में चर्चा की और यह भी कहा कि आपके यहां व्यवस्था व सुविधा ना होने पर दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए ले जाएंगे।
स्वजनों को डा पटेल ने खुद को सर्जन बताते हुए खुद इलाज करने की बात कही और 28 दिसंबर 2016 को उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया। 29 दिसंबर 2016 को सर्वाइकल स्पाइन की सर्जरी की। आपरेशन के बाद मरीज की हालत खराब हो गई। स्वजन ने बार-बार इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। मरीज की हालत बिगड़ने पर प्रबंधन ने खून चढ़ाने की जरूरत बताई और स्वजन से चार हजार रुपये जमा करा लिया। अस्पताल के कर्मचारी बाहर से ब्लड लेकर आए और फ्रिज में रख दिया, जिसे अगले दिन चढ़ाया गया। इसके बाद मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी। इंफेक्शन हो गया और पेट फूलने लगा। पूरे शरीर में सूजन आ गया। स्वजन ने प्रबंधन को इसकी जानकारी दी।
दूसरा आपरेशन करने के बाद कर दिया रेफर
अस्पताल प्रबंधन ने बाहर ले जाकर मरीज का एक्स-रे करवाया और बताया कि मरीज की अंतड़ी फट गई है, जिसके तत्काल आपरेशन की जरूरत है। छह जनवरी 2017 को दूसरा आपरेशन किया गया। इसके बाद मरीज की स्थिति और बिगड़ने लगी। स्वजन ने बार-बार डिस्चार्ज करने का आग्रह किया, जिससे वे उसे दूसरे अस्पताल ले जा सकें, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बात नहीं मानी। आखिरकार 10 जनवरी 2017 को हालत नाजुक होने पर रेफर किया। अपोलो हास्पिटल ले जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई।
डिस्चार्ज टिकट, समरी शीट नहीं दी
स्वजन ने अस्पताल प्रबंधन से डिस्चार्ज टिकट और समरी शीट मांगी। यह उपलब्ध कराने के बजाय झूठी रिपोर्ट दे दी। स्वजन ने अस्पताल प्रबंधन और डाक्टर को नोटिस भेजा, लेकिन जवाब नहीं दिया गया। मामले की सुनवाई उपभोक्ता आयोग में हुई। सुनवाई के बाद आयोग ने अस्पताल प्रबंधन व सर्जन के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है।