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किस्मत के बंद दरवाजे खोलता है पानी और कपूर का ये उपाय, दूर होगी घर से दरिद्रता व मुसिबतें

धर्म डेस्क, इंदौर। Camphor Astro Upay: ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। माना जाता है कि घर के मेन गेट का पूरे मकान से गहरा संबंध होता है। इसके माध्यम से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा घर के भीतर प्रवेश करती है। ऐसे में घर पर पॉजिटिविटी को बढ़ाने के लिए उपाय आजमाने की सलाह दी जाती है। कपूर के बिना पूजा अधूरी मानी है। इसमें ऊर्जा को शुद्ध और पवित्र करने की ताकत होती है। कपूर को पानी के साथ मिलाकर मुख्य द्वार पर छिड़कने से यह सुरक्षा कवच का काम करता है। आइए ज्योतिषाचार्य रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कपूर का पानी मुख्य द्वार पर छिड़कने के क्या फायदे हैं।

ऊर्जा का शुद्धिकरण

घर का प्रवेश द्वार बाहरी वातावरण और घर के बीच ऊर्जा के केंद्र का बिंदु होता है। मुख्य द्वार पर कपूर का पानी छिड़कने से घर में आने वाली ऊर्जा शुद्ध हो जाती है। अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है।

बाधाएं होती हैं दूर

जीवन में बाधाओं और चुनौतियों के लिए अशुभ ग्रहों को जिम्मेदार माना जाता है। ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए मुख्य द्वार पर कपूर का पानी छिड़कना एक प्रभावी उपाय है। यह पानी घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। अगर आप नियमित कपूर के पानी का छिड़काव करते हैं तो जीवन में सफलता के मार्ग खुलने लगते है।

सुख-समृद्धि में होती है वृद्धि

घर के मुख्य द्वार पर कपूर का पानी छिड़कने से ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आकर्षित होती है।

मानसिक शांति को बढ़ावा मिलता है

कपूर में शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शांत और सुखदायक गुण होते हैं। कपूर का पानी मुख्य दरवाजे पर छिड़कने से घर में शांत वातावरण को बढ़ावा मिलता है। कपूर की सुगंध मन को शुद्ध करती है।

दैवीय आशीर्वाद मिलता है

मुख्य दरवाजे पर कपूर का पानी छिड़कने से दैवीय आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 

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