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Tulsi Stuti: आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो पूजा के दौरान करें तुलसी स्तुति का पाठ, देवी लक्ष्मी होगी प्रसन्न

HIGHLIGHTS

  1. सनातन धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय माना जाता है।
  2. तुलसी के पौधे में देवी लक्ष्मी का वास होता है।
  3. जीवन में आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो उसे रोज पूजा के दौरान तुलसी स्तुति का पाठ जरूर करना चाहिए।

धर्म डेस्क, इंदौर। सनातन धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि तुलसी के पौधे में देवी लक्ष्मी का वास होता है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो उसे रोज पूजा के दौरान तुलसी स्तुति का पाठ जरूर करना चाहिए। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, तुलसी स्तुति करने से जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है।

तुलसी स्तुति

 

मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि।

आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥

यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः।

यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥

अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम्।

आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम्॥

देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः।

नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये॥

 

सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा।

आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा।

कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम्॥

या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी

रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी।

प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता

न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः॥

 

 

॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥

 

मां तुलसी का पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 

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