हार्ट अटैक आने के बाद भी Kishore Kumar ने गाया था यह गाना, पढ़िए पूरा किस्सा और सुनिए वो गाना
HIGHLIGHTS
- फिल्म ‘सागर’ में कमल हसन, डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर लीड रोल में थे।
- ऋषि कपूर के लिए किशोर कुमार और कमल हसन के लिए बालासुब्रमण्यम गा रहे थे।
- ‘सागर’ फिल्म के गाने को रिकाॅर्ड करने से पहले किशोर दा को हार्ट अटैक आया था।
एंटरटेनमेंट डेस्क, इंदौर। Kishore Kumar Kisse: किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के ऐसे गायक थे, जिनके हुनर की कोई सीमा नहीं थी। उन्होंने गायकी के साथ एक्टिंग की दुनिया में भी अपनी चमक बिखेरी। वहीं, 1985 में रिलीज हुई फिल्म ‘सागर’ में कमल हसन, डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर लीड रोल में थे। फिल्म का एक गाना ‘यूं ही गाते रहो’ कमल हसन और ऋषि कपूर के बीच फिल्माया गया था। ऋषि कपूर के लिए किशोर कुमार और कमल हसन के लिए बालासुब्रमण्यम गा रहे थे। जावेद अख्तर ने इस फिल्म का एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि उस समय टेक्निक इतनी विकसित हो गई थी कि अगर दो लोग एक गाने को गा रहे हैं, तो वे अपने हिसाब से कभी-भी आते थे और गाकर चले जाते थे। गाने को रिकॉर्ड करने के लिए दोनों का एक साथ होना जरूरी नहीं था। बाद में गाने को जोड़ दिया जाता था।
डाॅक्टर्स की सलाह पर गाते थे सिर्फ एक गाना
‘सागर’ फिल्म के गाने ‘यूं ही गाते रहो’ को गाने से कुछ दिन पहले किशोर दा को हार्ट अटैक आया था। वे पहले एक ही दिन में दो से तीन गाने गा दिया करते थे, लेकिन हार्ट अटैक के बाद डाॅक्टर्स की सलाह पर वे सिर्फ एक ही गाना गाया करते थे। वहीं, बालासुब्रमण्यम एक बेहतरीन गायक थे, ऐसे में ‘सागर’ फिल्म का गाना किशोर दा और बालासुब्रमण्यम को साथ गाना था। ऐसे में किशोर दा की हालत को देखते हुए जावेद अख्तर को लगा कि बालासुब्रमण्यम कही ये कमजोर न पड़ जाए। अगले दिन जब किशोर दा गाने को रिकॉर्ड करने आए, तो उनके जोश में कोई कमी नहीं देखने को मिली।
बालासुब्रमण्यम के साथ रिकॉर्ड किया था गाना
जावेद अख्तर ने आगे बताया कि जब किशोर दा ने यह गाना गाया, तो वे हैरान रह गए। उन्होंने कहा, तब मैंने जाना कि किशोर कुमार आखिर किशोर कुमार ही है। उनकी आवाज कभी किसी के आगे फिकी पड़ी ही नहीं सकती है। एक रिकॉर्डिंग के दौरान मुझसे किशोर दा ने कहा था कि मैंने वसीयत की है कि मैं जब मर जाऊं, तो अंतिम संस्कार की प्रक्रिया खंडवा में ही की जाए।
इस पर मैंने सवाल किया कि खंडवा में ही क्यों, तो किशोर दा कहते हैं कि मुझे यहां नहीं करवाना, यहां पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री आ जाती है। बाहर इतनी पब्लिक जमा हो जाती है कि लगता है प्रीमियर हो रहा है। मुझे अपने मौत पर ये सब तमाशा नहीं करना।
मैं एक छोटे से शहर से यहां आया था और वहीं की मिट्टी है मेरे बदन की और वो वहीं वापस जाएगी। जैसा उन्होंने कहा था वैसा ही हुआ, खंडवा में किशोर दा की समाधि बनी हुई है।