Bichhiya Benefits: महिलाएं क्यों पहनती हैं पैरों में बिछिया, जानें क्या है इसका कारण
HIGHLIGHTS
- पैर की दूसरी और तीसरी उंगलियों में बिछिया पहननी चाहिए।
- इससे पति-पत्नी के बीच रिश्ते अच्छे बने रहते हैं।
- इससे धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Chandi ki Bichhiya: सनातन धर्म में विवाहित स्त्री के श्रृंगार को बहुत महत्व दिया गया है। विवाहित महिलाएं बिंदी, चूड़ियां, मंगलसूत्र, मांग टीका, झुमके और बिछिया आदि पहनती हैं। उसके श्रृंगार में ये सभी आवश्यक माने जाते हैं। इतना ही नहीं, शास्त्रों में भी इसका विस्तार से उल्लेख मिलता है। विवाहित महिलाओं के लिए पैरों में चांदी की बिछिया पहनने का भी रिवाज है। ऐसा कहा जाता है कि पैरों में बिछिया सुहाग की निशानी मानी जाती है। इसके इस्तेमाल से पैरों की खूबसूरती तो बढ़ती है, लेकिन और भी कई कारण होते हैं। आइए, जानते हैं कि बिछिया पहनने का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण क्या है।
बिछिया पहनने का धार्मिक महत्व
बिछिया सोलह श्रृंगार का हिस्सा होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाहित महिला अगर बिछिया पहनती है, तो वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। महिलाओं को पैर की दूसरी और तीसरी उंगलियों में बिछिया पहननी चाहिए। इससे पति-पत्नी के बीच रिश्ते अच्छे बने रहते हैं। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मकता दूर होती है।
मां दुर्गा की पूजा के दौरान उन्हें पैर में बिछिया पहनाई जाती है। इसे शुभ शगुन माना जाता है। कहा जाता है कि सनातन धर्म में कुंवारी कन्या पैर में बिछिया नहीं पहन सकती। इसे शादी के बाद ही पहनना शुभ माना जाता है। बता दें कि बिछिया का संबंध रामायण से भी है। जब रावण माता सीता का अपहरण कर ले जा रहा था, तो माता सीता ने अपनी बिछिया मार्ग पर फेंक दिया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि भगवान श्री राम उन्हें आसानी से ढूंढ सकें।
बिछिया पहनने का वैज्ञानिक कारण
बिछिया पहनने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक कारण भी है। महिलाओं के पैरों की तीन उंगलियों की नसें महिलाओं के गर्भाशय और हृदय से संबंधित होती हैं। ऐसे में पैरों में बिछिया पहनने से प्रजनन क्षमता मजबूत होती है। इसके अलावा उन्हें गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है।
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