भारत रत्न MS Swaminathan ने देश को भुखमरी से बचाया, जानें क्या था उनका खास योगदान
HIGHLIGHTS
- MS Swaminathan ने 1949 में आलू, गेहूं, चावल और जूट पर शोध कार्य करते अपने करियर की शुरुआत की थी।
- उस दौरान आजादी के बाद देश की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा कमजोर थी।
- भारत को विदेशों से आयात किए जाने वाले घटिया स्तर के खाद्यान्न पर निर्भर रहना पड़ता था।
डिजिटल डेस्क, इंदौर। केंद्र सरकार ने विख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के साथ-साथ किसान नेता चौधरी चरण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। दिवंगत कृषि वैज्ञानिक MS Swaminathan को देश में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। स्वामीनाथन के प्रयासों के कारण ही देश में कृषि उत्पादन बढ़ा और किसानों
बीते साल ही हुआ था निधन
कृषि वैज्ञानिक के जनक मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन (एमएस स्वामीनाथन) का निधन बीते साल 2023 में ही हुआ था। 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे MS Swaminathan ने कृषि विकास के लिए उन्नत काम किया था। उन्होंने धान की उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित किया था और इसी कारण देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा था। इन उन्नत किस्मों के कारण देश के किसानों की आय भी बढ़ी थी।
इन फसलों की भी पैदावार बढ़ाई
MS Swaminathan ने 1949 में आलू, गेहूं, चावल और जूट पर शोध कार्य करते अपने करियर की शुरुआत की थी। उस दौरान आजादी के बाद देश की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा कमजोर थी और भारत को विदेशों से आयात किए जाने वाले घटिया स्तर के खाद्यान्न पर निर्भर रहना पड़ता था। MS Swaminathan के द्वारा विकसित धान व गेहूं की उच्च किस्मों के कारण देश भुखमरी से बच सका था। MS Swaminathan ने ‘हरित क्रांति’ की सफलता के लिए 1960 और 70 के दशक के दौरान सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम सहित कृषि मंत्रियों के साथ काम किया था और देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया था।