सावधान! रायपुर में भी हो सकता है हरदा जैसा बड़ा हादसा, शहर के बीच हो रहा बारूद का कारोबार
HIGHLIGHTS
- हाई कोर्ट के आदेश का भी नहीं हो रहा है असरl
- बिना लाइसेंस चल रहीं 140 से ज्यादा दुकानेंl l
- शहर के बीच बारूद का कारोबार
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। Cracker Shop in Raipur: पटाखा कारोबार को शहर की घनी आबादी से दूर रखने के हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी इन दिनों शहर की कालोनियों के साथ ही मुख्य बाजार में भी पटाखा कारोबार संचालित हो रहा है। इसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा अवैध रूप से चल रहे इन पटाखा कारोबार को घनी आबादी से दूर ले जाने में रुचि नहीं दिखा रही है, बल्कि कारोबारियों को और मोहलत दी जा रही है।
हरदा में हुई घटना के बाद नईदुनिया टीम ने बुधवार को पटाखा दुकानों की पड़ताल की। इस दौरान पाया कि शहर के मुख्य बाजार से लेकर बड़े-बड़े मुहल्लों में भी पटाखा कारोबार चलाया जा रहा है। इनमें प्रमुख रूप से गोलबाजार, फूल चौक, रामसागरपारा, गुढ़ियारी, लाखेनगर चौक, बढ़ईपारा सहित बहुत से ऐसे घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं, जहां अवैध रूप से पटाखा कारोबार चल रहा है।
जिला प्रशासन द्वारा पिछले दिनों इन्हें शिफ्टिंग करने का नोटिस भी जारी किया गया था। कारोबारी मनीष राठौड़ का कहना है कि पटाखा कारोबार को घनी आबादी से बाहर शिफ्ट करना चाहिए। पटाखा कारोबार के लिए भी अलग से जगह चिह्नित की जाए, जहां एक ही स्थान पर पटाखा कारोबार संचालित हो।
आठ वर्ष पहले 175 दुकानों को दिया था नोटिस
मालूम हो कि के मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद पटाखा फैक्ट्री में वर्ष 2015 में हादसे के बाद जिला प्रशासन ने भी रायपुर में 175 पटाखा कारोबारियों को अपना कारोबार घनी आबादी से दूर ले जाने के लिए नोटिस जारी किया था। इसके बाद कारोबारियों की मांगों पर शिफ्टिंग की तारीख दो से तीन बार बढ़ा दी गई।
ऐसा करते-करते आठ वर्ष बीत गए। अभी भी शहर के बीचोबीच पटाखा कारोबार संचालित हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि स्टाक की भी जांच नहीं होती। लाइसेंस वाले पटाखा कारोबारियों को भी 400 किलोग्राम पटाखा रखने की अनुमति होती है, लेकिन उनके द्वारा भी इससे ज्यादा का स्टाक रखा जाता है।
कलेक्टर गौरव सिंह ने कहा, पटाखा दुकानों को शहर के बाहर करने के मामले में कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। नियम का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।