Monsoon Places In CG: मानसून में बना रहे हैं घूमने का प्लान, तो छत्‍तीसगढ़ के इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का लें मजा"/>

 Monsoon Places In CG: मानसून में बना रहे हैं घूमने का प्लान, तो छत्‍तीसगढ़ के इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का लें मजा

अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और वन्‍यजीव प्राणियों को करीब से देखना हैं तो छत्‍तीसगढ़ में कई ऐसी जगह है, जहां आप इनका आनंद ले सकते हैं। वहीं छत्‍तीसगढ़ के वाइल्‍ड लाइफ डेस्‍टीनेशन में एक है कवर्धा का प्रसिद्ध भोरमदेव अभयारण्य। जहां मानसून के समय आप आसानी से जा सकते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. तितलियों के अद्भुत संसार में लीजिए प्रकृति के सान्निध्य का अविस्मरणीय अनुभव
  2. मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित कवर्धा जिले को प्रकृति का आशीर्वाद
  3. भोरमदेव अभयारण्य में 130 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता

 रायपुर। अगर आपको अगर आपको प्रकृति से लगाव है और आप हरे-भरे दृश्य के साथ जंगलों के वन्यजीवों को देखना चाहते हैं, तो चले आइए छत्‍तीसगढ़ के प्रसिद्ध भोरमदेव अभयारण्य। राजधानी रायपुर से 120 किमी दूर स्थित मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरे कवर्धा जिले में चिल्फी घाटी, भोरमदेव मंदिर, सरोधा दादर जलाशय, रानीदहरा जल प्रपात, पीठाघाट वाचटावर और पुरातात्विक स्थल पचराही मुख्य आकर्षण हैं।

352 वर्ग किमी में फैला भोरमदेव वन्य प्राणी अभयारण्य मोर, किंगफिशर, बायसन, चीतल, नीलगाय जैसे वन्यजीवों, पक्षियों और दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है। मगर यहां एक बड़ा आकर्षण केंद्र सात एकड़ में फैला तितलियों का संसार है।

इस अभयारण्य में 130 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता है। इनमें राष्ट्रीय तितली आरेंज ओकलीफ (केलिमा इनेकस), दुर्लभ प्रजाति की ‘स्पाटेड एंगल’ आदि शामिल है। तितलियों के स्वर्ग कहे जाने वाले इस अभयारण्य में 200 से अधिक पक्षियों का भी बसेरा है।naidunia_image

वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को यहां तितलियों का संसार देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि आरेंज ओकलीफ तितली जब पंख बंद रखती है तो सूखी पत्ती के समान दिखती है और पंख खुलने पर काला, नारंगी, गहरे नीले रंग वाले पंख सभी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करने लगते हैं। अभयारण्य क्षेत्र के जामुनपानी और प्रतापगढ़ में जंगल सफारी कर पर्यटक वन्यप्राणियों को देखने जा सकते हैं।

18 किमी दूर भोरमदेव मंदिर परिसर

कवर्धा से 18 किमी दूर स्थित भोरमदेव मंदिर परिसर भगवान शिव को समर्पित चार हिंदू मंदिरों का एक समूह है। हजारों वर्ष पुराने इन मंदिरों को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। यहां मंडवा महल, छेरकी महल सहित अन्य मंदिरों की नक्काशी देखने लायक है।

वर्ष 1349 में नागवंशी राजा रामचंद्र देव और राजकुमारी अंबिका देवी की शादी की याद में मड़वा महल यानी दुल्हादेव बनवाया गया था। इस परिसर की बाहरी दीवारों पर कामासूत्र में दर्शाई गई 54 मुद्राएं बनी हुई हैं। एक मंदिर में अधगढ़ा शिवलिंग स्थित है। मंदिर की छत पर कमल के आकार में शिल्पकारी की हुई है।naidunia_image

प्रकृति को निहारने आइए सरोधा दादर

जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी पर मध्यप्रदेश की सीमा पर चिल्फी घाटी स्थित है। यहां से दाहिने दिशा में पांच किमी ऊपर सरोधा दादर ग्राम में पहाड़ पर 11 एकड़ की भूमि पर एक बैगा एथनिक रिसार्ट बनाया गया है। इस पर्यटन ग्राम में वुडन व डीलक्स हाउस बने है।

चिल्फीघाटी और सरोधा-दादर में प्रकृति का आनंद लेने के लिए सालभर देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही रहती है। सरोधा-दादर और पीड़ाघाट के पास एक वाच-टावर भी बनाया गया है, जहां से लोग पर्वत और घाटी के सुंदर दृश्य का आनंद ले सकते हैं। जिले में मुख्य रूप से बैगा आदिवासी निवास करते हैं, इनकी पारंपरिक जीवन शैली और संस्कृति आकर्षित करती है। ट्रेकिंग व कैंपिंग का आनंद ले सकते हैं।

लुभाता है जलाशयों का दृश्य

हरी-भरी पहाड़ियों के घिरे सरोधा जलाशय में पर्यटक स्पीड बोट, वाटर स्कूटर और कैंपिंग कर सकते हैं। यहां से मैकल पर्वत श्रृंखला की खूबसूरती देखते ही बनती है। छीरपानी जलाशय का नयनाभिराम दृश्य भी पर्यटकों को लुभाता है। यहां घने जंगल के बीच स्थित रानीदहरा जल प्रपात, दुरदुरी जलप्रपात, मांदाघाट जलप्रपात भी है।naidunia_image

रानीदहरा बोड़ला से चिल्फी मार्ग पर कवर्धा से लगभग 35 किमी की दूर है। अभयारण्य के घने जंगल और ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित रानीदहरा जल प्रपात का सौंदर्य सावन में पूरे उत्कर्ष पर होता है। यहां करीब 40 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। पहाड़ी रास्तों के बीच ठंडी हवाएं पर्यटकों को सुकून देती है।

इस तरह पहुंचे, यहां रुके

रायपुर एयरपोर्ट, रायपुर और जगदलपुर रेलवे स्टेशन से आप आसानी से कवर्धा पहुंच सकते हैं। रायपुर से 120 किमी दूर स्थित कवर्धा के लिए नान स्टाप एसी बसें उपलब्ध है। जिले में रुकने के लिए सरोधा दादर के रिसार्ट सहित अभयारण्य के पास और शहर में सस्ते होटल उपलब्ध है। सरोधा रिसार्ट में बुकिंग के लिए आप पर्यटन बोर्ड के नंबर 7714224999 व 9111007964 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

कवर्धा वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने कहा, कोट अभयारण्य क्षेत्र को कोर और बफर जोन में बांटा गया है। बफर जोन में चिल्फी घाटी क्षेत्र आता है। जहां बैगा आदिवासियों के कई गांव है। अभयारण्य में अगस्त अंत तक बटरफ्लाई कैंप का आयोजन होगा। वहीं, जंगल सफारी संभवत नवंबर से शुरू हो जाएगा।

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