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रसोईघर में इन चीजों को न होने दें कभी भी खाली, धन की हो सकती है कमी

घर में रसोई सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इससे घर की सुख-शांति तय होती है। आपके भाग्य के उदय में यह भूमिका निभाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। do not let these things end in kitchen for financial growth: घर में रसोई सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इससे घर की सुख-शांति तय होती है। आपके भाग्य के उदय में यह भूमिका निभाती है। वास्तु में ऐसा माना जाता है कि रसोई में कुछ चीजों का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर वह खत्म हो जाएं तो भाग्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।

 

ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

 

रसोईघर में आटा खाली न होने दें

कुछ लोग रसोई में आटे के खत्म होने के बाद डिब्बे में आटा भरते हैं। ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए। आटे के डिब्बे को पूरी तरह खत्म नहीं होने दें, उससे पहले ही इसे भर दें। आटे के बर्तन को कभी भी झाड़ें नहीं। ऐसा करने से आपके भाग्य पर नकारात्मक असर होगा। आपको आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।

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रसोईघर में हल्दी खाली न होने दें

 

रसोई में रखें मसालों में सबसे महत्वपूर्ण हल्दी होती है। हल्दी को कभी भी खत्म न होने दें। इसके खत्म होने से पहले ही बाजार से जाकर ले आएं। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं गुरुदोष लगता है। गुरुदोष लगने से आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है। आपके शुभ काम बनते-बनते बिगड़ जाएंगे। हल्दी भूलकर भी कभी उधार न दें और न ही किसी से लें।

रसोईघर में चावल न होने दें खत्म

रसोईघर में चावल की कमी कभी न होने दें। ऐसा होने पर शुक्रदोष लग जाता है, जिससे एश्वर्य, वृद्धि और भौतिक सुखों पर नकारात्मक असर होता है। चावल खत्म होने से पहले ही बाजार से मंगवा लें।

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रसोईघर में नमक न होने दें खत्म

 

रसोई में नमक तो हर वक्त होना ही चाहिए। अगर नमक नहीं होगा तो आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर होता है। यह आपके जीवन में परेशानियों को बढ़ा देता है।

 

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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