छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल तय, जिलाध्यक्षों पर गिर सकती है गाज"/>

छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल तय, जिलाध्यक्षों पर गिर सकती है गाज

HIGHLIGHTS

  1. कई महत्वपूर्ण पदों पर फेरबदल की चल रही तैयारियां
  2. विधानसभा चुनाव में हारी हुई सीटों पर नए चेहरों को मौका
  3. इन सुझावों पर 28 दिसंबर के बाद निर्णय लिया जाएगा

रायपुर (राज्य ब्यूरो)। Chhattisgarh Politcs: विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद कांग्रेस में संगठन स्तर पर कई महत्वपूर्ण पदों पर फेरबदल की तैयारियां चल रही है। राजधानी में दो दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद कई महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों पर 28 दिसंबर के बाद निर्णय लिया जाएगा।

नागपुर में कांग्रेस की महारैली के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। सबसे पहले उन जिलों को सामने रखा जाएगा, जहां विधानसभा में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इसमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग सहित 15 से अधिक जिले हैं। अन्य जिलों में बलौदाबाजार, महासमुंद, कोरिया, सरगुजा, कोरबा, कवर्धा, बलरामपुर, जगदलपुर आदि शामिल हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद जिलाध्यक्षों की भूमिका पर सवाल उठ चुके हैं।

अभी बनेंगे रहेंगे बैज

पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष को बदलने की संभावना कम है। विधानसभा चुनाव के चार महीने पहले ही दीपक बैज को कमान सौंपी गई थी। इससे पहले मोहन मरकाम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। मरकाम व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच राजनीतिक खींचतान के बाद बैज को जिम्मेदारी दी गई। हालांकि विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन पर समीक्षा बैठक में बैज पर भी सवाल दागे गए। उन्होंने अपना जवाब हाईकमान के सामने रखा है।

जानकारी के अनुसार, उनकी नियुक्ति आगे बढ़ाई जा सकती है। उपनेता की नियुक्ति अगले महीने नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के बाद कांग्रेस में उपनेता की नियुक्ति होगी। उपनेता के अलावा विधायक दल के लिए सचेतक की भी नियुक्ति की जाएगी। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के साथ विधायक दल के लिए उपनेता बनाए जाने की परंपरा है। 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, 2008 में कांग्रेसी नेता रामपुकार सिंह व 2013 में रेणु जोगी को उपनेता बनाया गया था।

इधर, गुरुवार को बिश्रामपुर में कांग्रेस की समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं ने जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि पांच साल तक विधायकों एवं मंत्रियों द्वारा पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए चाटूकारों को तबज्जो दिए जाने के कारण चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पार्टी में व्याप्त गुटबाजी को समाप्त करने की कोशिश पार्टी के आला नेताओं ने कोई कोशिश नहीं की।

नए प्रभारी से उम्मीदें

कुमारी सैलजा को हटाने जाने के बाद सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई है। ऐसे में कांग्रेस के पदाधिकारियों को काफी कुछ उम्मीदें हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठनात्मक फेरबदल से लेकर जिला स्तर पर पदाधिकारियों को हटाने जाने व नियुक्ति का निर्णय प्रदेश प्रभारी के सलाह-मशवरे के बाद लिया जाएगा।

कांग्रेस में घमासान, कई पदाधिकारियों को हटाने की मांग

कांग्रेस की समीक्षा बैठक में कई पदाधिकारियों को हटाने की भी मांग रखी जा चुकी है। चुनाव के बाद कांग्रेस में अंर्तकलह के चलते कई बड़े पदाधिकारी भी नप सकते हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 2024 की शुरूआत से ही नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। विधानसभा में बड़ी हार के बाद लोकसभा के लिए पार्टी को खड़ी करने की चुनौती अब बड़े पदाधिकारियों पर चुकी है।

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