Farmer Day 2024: धान की विलुप्त हो रही प्रजातियों और भाजियों को बचाने में जुटा छत्तीसगढ़ का ये किसान
वाकेश साहू/रायपुर। Farmer Day 2024 Special: छत्तीसगढ़ के किसानों द्वारा धान समेत भाजियों की विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन में अहम भूमिका निभाई जा रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के किसान ने धान की विलुप्त हो रही प्रजातियों को संरक्षण में अनोखा काम किया है। इसी तरह जांजगीर-चांपा जिले के कृषक ने छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के संरक्षण और पारंपरिक किस्मों को बचाने के लिए खेती कर रहे हैं।
साथ ही ये किसान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अलग-अलग कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों से मार्गदर्शन ले रहे हैं, जिससे उनको फायदा भी मिल रहा है। बता दें कि कृषि विश्वविद्यालय में धान के 23 हजार से अधिक किस्में है, जो देश में अव्वल है। जबकि पूरे प्रदेश में 28 कृषि विज्ञान केंद्र है।
धान के 10 विलुप्तप्राय प्रजातियों का कर रहे संरक्षण
बीजापुर जिले के तुमनार क्षेत्र के प्रगतिशील किसान लिंगुराम ठाकुर आदिवासी बहुल क्षेत्र में धान की विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे धान के 10 विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए खेती कर रहे हैं। धान के देसी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण व संवर्धन के लिए उन्हें 2021 में नई दिल्ली में जीनोम सेवियर पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
लिंगुराम ने बताया कि उसने काला जीरा, थापा फूल, लाल चावल, गुड़मा लाल चावल, साटका लाल चावल, असमचुरी धान, डोकरा धान, सपुर कबरी जैसे धान का बीज तैयार कर रहे हैं। इस कार्य में कृषि विज्ञान केंद्र बीजापुर का मार्गदर्शन मिल रहा है। कृषि विज्ञानियों के अनुसार ये सभी किस्म के धान का उत्पादन भी ज्यादा होता है। इसके अलावा शुगर, डायबिटीज मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है।
36 प्रकार की भाजियों के संरक्षण के लिए कर रहे विशेष खेती
जांजगीर-चांपा जिले के बहेराडीह के किसान दीनदयाल यादव छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के संरक्षण में जुटा हुआ है। दीनदयाल यह काम 2012 से निरंतर जारी रखा है। उन्होंने बताया कि आज बाजार में कई भाजियां नजर नहीं आ रही है। ऐसे में इसे बचाने के लिए वे भाजियों की खेती कर रहे हैं। अभी वे मेथी भाजी, गोंदली भाजी, मुरई भाजी, चरौटा भाजी, मूटी भाजी, अमारी भाजी, नोनिया भाजी, पीपर भाजी, पोई भाजी, कांदा भाजी, गोभी भाजी, पालक भाजी, रोपा भाजी, चना भाजी, गांव भाजी, कोईलार भाजी, केना भाजी, अकरी भाजी, सुनसुनिया भाजी, भथुवा भाजी, मोहार भाजी, चौलाई भाजी आदि भाजियों को बचाने में जुटे हैं। इस काम को देखते हुए उनको 2021 में भाजियों के देसी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण व संवर्धन के लिए पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार से नई दिल्ली में सम्मानित किया है।