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ऋग्वेद के मंत्रों का शोभा ने किया छत्तीसगढ़ी में अनुवाद, प्रथम मंडल को ट्रांसलेट करने में लगे चार वर्ष

HIGHLIGHTS

  1. प्रथम मंडल के अनुवाद में लगे चार वर्ष।
  2. जल्दी ही प्रकाशित होकर आएगा ग्रंथ।
  3. अन्य मंडलों पर चल रहा है काम।

गिरीश वर्मा/रायपुर। Rigveda Mantra Translate into Chhattisgarhi: राजधानी रायपुर की कवयित्री और लेखिका शोभा मोहन श्रीवास्तव (अमलेश्वर) ने ऋग्वेद के मंत्रों का छत्तीसगढ़ी भाषा में छंदमय भावानुवाद किया है। शोभा मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि ऋग्वेद में 10 मंडल हैं, जिनमें से चार मंडल प्रथम, पंचम, षष्ठम और सप्तम का उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में भावानुवाद किया है। प्रथम मंडल का प्रकाशन जल्द ही हो जाएगा। मंडल में संस्कृत के मंत्रों का छत्तीसगढ़ी में भावानुवाद के साथ ही हिंदी में भी अर्थ दिया गया है।

प्रथम मंडल के एक हजार पृष्ठ की किताब का अनुवाद करने में चार वर्ष का समय लगा। अन्य मंडल के लिए भी काम चल रहा है। उदाहरण के लिए ऋग्वेद में संस्कृत के लिखा वाक्य अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्, होतारं रत्नधातमम् का छतीसगढ़ी में छंगमय अनुवाद बाप असन ईश्वर उपकारी, ज्ञान दिये सब बर हितकारी। जुग-जुग जुनपट बेद गठरिया, दे उपदेश बतावत छरिया।

प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कवि पं. सुंदरलाल शर्मा से है संबंध

कवयित्री शुभचंद्रसूर्या शोभामोहन श्रीवास्तव छतीसगढ़ के विख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कवि पं. सुंदरलाल शर्मा की प्रपौत्री हैं। छत्तीसगढ़ी के साथ हिंदी में कई किताबें लिख चुकी हैं। वे पं. सुंदरलाल शर्मा के जीवन के अनकहे पहलुओं पर आधारित छत्तीसगढ़ी खंडकाव्य पसर भर पानी लिख रही हैं। उन्होंने बताया कि किताब का प्रकाशन जल्द होगा। इसके साथ हिंदी में लगभग 300 गजलें और 400 कविताएं लिख चुकी हैं। शोभामोहन आकाशवाणी रायपुर में मोर भुइयां कार्यक्रम में 2003 से प्रस्तुति दे रही हैं।

2017 में आया विचार, छह वर्ष समय लग चुका है

 

लेखिका और कवयित्री शोभा मोहन श्रीवास्तव ने बताया- मैंने अपने गुरु आचार्य अमरनाथ त्यागी (रायपुर) के विशाल पुस्तकालय में वेद के दर्शन किए। उसके बाद वेद को मैं घर ले आई और लगभभ तीन महीने तक पढ़ती रही। तब विचार आया कि हमारा वेद ग्रंथ बहुत समृद्ध हैं। इसमें सभी चीजों की जानकारी दी गई है।

व्यवहारिक शिक्षा के लेकर तकनीकी, चिकित्सा, खगोल, दर्शनशास्त्र की सभी जानकारी हमारे ऋषि-मुनियों ने पहले से जानकारी लेकर रचना कर दी है, लेकिन इसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी ही नहीं है। इसको मैं लोगों के समक्ष लाना चाहती थी। इसके लिए मैंने अपने पति और कवि मोहन श्रीवास्तव से बातचीत कर पुस्तक लिखना शुरू किया। महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वेद के किए भाष्य को आधार मानकर मैं छत्तीसगढ़ी भाषा में छंदमय अनुवाद करती गई।

वेदों में जीवन से जुड़ी सभी जानकारी

शोभा मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि हम जिस तकनीक, विज्ञान को आज जान पा रहे हैं, उसे हजारों लाखों वर्ष पहले हमारे ऋषि मुनि साकार कर चुके हैं। प्रारंभिक शिक्षा, संस्कार, जगत, जीवन और ब्रह्मांड से जुड़ी सभी जानकारी चार वेद ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद में दी गई है। वेद और प्राचीन धर्म ग्रंथों को पढ़कर सभी प्रकार की शिक्षा ली जा सकती है।

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