Chhattisgarh News: प्रमुख सचिव के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ के दो हजार शिक्षकों की बढ़ी मुसीबतें, ये है बड़ी वजह
HIGHLIGHTS
- पदोन्नति के बाद शिक्षकों ने परेशानी बताकर करवाया था संशोधन
- स्कूलों में सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर किया गया था पदोन्नति
- गड़बड़ी की शिकायत के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने संशोधन आदेश किया निरस्त
मनीष मिश्रा/रायपुर। Chhattisgarh News: स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला के इस्तीफा देने के बाद राज्य के लगभग दो हजार शिक्षकों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। स्कूलों में सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर पदोन्नति किया गया था। कुछ शिक्षकों ने आवंटित स्कूलों में पदभार न लेकर संशोधन करवाकर नया स्कूल आवंटित करवा लिया था। संशोधन और स्कूल आवंटन में हुई गड़बड़ी की शिकायत के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने संशोधन आदेश को निरस्त कर दिया था।
इसके बाद शिक्षक कोर्ट चले गए। कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश जारी कर दिया। लगातार सुनवाई के बाद नवंबर के प्रथम सप्ताह में शिक्षकों को पूर्व स्कूल में पदभार ग्रहण करने का आदेश निकाल दिया गया। विभाग और शिक्षकों के बीच पूर्व स्कूल कौन सा होगा, इसे लेकर भी विवाद हो गया। इसके कारण अभी भी शिक्षकों ने स्कूलों में पदभार नहीं लिया है।
कोर्ट ने आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में सभी संयुक्त संचालकों को सदस्य बनाते हुए एक जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही कमेटी को इन शिक्षकों से अभ्यावेदन लेकर मामले को 45 दिन में निपटाने के लिए कहा गया था। कमेटी को संशोधन के समय शिक्षकों के द्वारा बताए गए कारण की सत्यता की भी जांच करनी है।
प्रमुख सचिव के इस्तीफे के बाद जांच कमेटी की कार्यवाही भी प्रभावित हो रही है। गौरतलब है कि विभाग पदस्थापना आदेश संशोधित कर गड़बड़ी करने के आरोप में रायपुर, दुर्ग, सरगुजा और बिलासपुर के संयुक्त संचालकों समेत 12 अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित भी कर चुका है। इनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।
यह है पूरा मामला
प्रदेश के शिक्षा संभागों के संयुक्त संचालकों ने सहायक शिक्षकों की शिक्षक के पद पर पदोन्नति की थी। इसमें 9,749 शिक्षकों ने काउंसिलिंग के लिए विकल्प भरा था और 867 ने सहमति नहीं दी थी। बिलासपुर संभाग में 2,785, दुर्ग संभाग में 1,505, रायपुर संभाग में 1,283, सरगुजा संभाग में 2,997 और बस्तर संभाग में 2,206 शिक्षकों को पदोन्नति मिली थी। इनमें ज्यादातर शिक्षकों ने पदोन्नति के बाद पदस्थ किए गए स्कूलों में ज्वाइनिंग दे दी है। बाकी 2,723 शिक्षकों ने अपनी पदस्थापना में संशोधन कराया था। इन्हीं शिक्षकों के संशोधन आदेश को सरकार ने निरस्त कर दिया है।
छह दिसंबर को होनी थी पहली बैठक
शिक्षकों के पदस्थापना विवाद को लेकर पहली बैठक छह दिसंबर को होनी थी। बैठक से पहले प्रदेश में सरकार बदलने के कारण स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने इस्तीफा दे दिया। अब बैठक को रद कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जब तक प्रमुख सचिव नियुक्त नहीं हो जाते हैं, तब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं होगी। इस लिहाज से अभी भी प्रदेश के लगभग दो हजार शिक्षकों को स्कूल मिलने का इंतजार रहेगा।
शिक्षकों को तीन महीने से नहीं मिला वेतन
स्कूलों से बाहर हुए शिक्षकों को सितंबर से वेतन नहीं मिल रहा है। शिक्षकों के सामने आर्थिक समस्याएं भी आने लगी हैं। शिक्षा सत्र के बीच में दो हजार से अधिक शिक्षक स्कूलों से बाहर हो गए हैं। इस वजह से स्कूलों में छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।