Chhattisgarh News: नौ जिलों में मोतियाबिंद से दृष्टिबाधित एक भी मरीज नहीं, राज्य से कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री घोषित"/> Chhattisgarh News: नौ जिलों में मोतियाबिंद से दृष्टिबाधित एक भी मरीज नहीं, राज्य से कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री घोषित"/>

Chhattisgarh News: नौ जिलों में मोतियाबिंद से दृष्टिबाधित एक भी मरीज नहीं, राज्य से कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री घोषित

HIGHLIGHTS

  1. 10वें जिले के लिए कांकेर ने किया दावा।
  2. वेरीफिकेशन के लिए जाएगी राज्य की टीम।
  3. 14 जिलों में मोतियाबिंद का इलाज अत्याधुनिक फेको तकनीक से जारी।
अभिषेक राय, रायपुर। राज्य में राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के अंतर्गत नौ जिले कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री हो चुके हैं। यानी यहां मोतियाबिंद से दृष्टिबाधित एक भी मरीज नहीं है। 10वें के लिए कांकेर जिले ने भी दावा प्रस्तुत कर दिया है, जिसके वेरीफिकेशन के लिए जल्द ही राज्य की टीम जाएगी। इन जिलों में मोतियाबिंद के कारण दृष्टिबाधित हो चुके चिन्हित सभी लोगों के आंखों की रोशनी लौटाई जा चुकी है।
 
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कबीरधाम यह स्टेटस हासिल करने वाला प्रदेश का पहला जिला था। इसके बाद बलौदा बाजार, राजनांदगांव, रायगढ़, रायपुर, बालोद, धमतरी, दुर्ग व कोरबा को कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री हो चुके हैं। लेकिन, अंतिम निर्णय केंद्र सरकार के हाथ में है। राज्य स्तर की टीम ने दस्तावेजों का वेरीफिकेशन कर केंद्र सरकार को भेज दिया है। वहां से रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। दिसंबर में केंद्रीय टीम के आने की उम्मीद है।

दृष्टिदोष वाले रोगियों की सूची तैयार की जा रही

राज्य शासन द्वारा वर्ष-2025 तक छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए प्रदेश में मोतियाबिंद पीड़ित चार लाख लोगों को चिन्हित किया गया है। सभी जिलों में मोतियाबिंद पीड़ितों का आपरेशन तेजी से किया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा दृष्टिदोष वाले रोगियों की सूची तैयार की जा रही है। नेत्र सहायक अधिकारियों के माध्यम से चयनित विकासखंडों में तैयार सूची के आधार पर रोगियों की पुष्टि कर मोतियाबिंद के आपरेशन किए जा रहे हैं।

14 जिलों में अत्याधुनिक फेको तकनीक से इलाज

प्रदेश के 14 जिलों में मोतियाबिंद का इलाज अत्याधुनिक फेको तकनीक के माध्यम से किया जा रहा है। आपरेशन की इस विधि में आंख में महज एक बारीक छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से मोतियाबिंद को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है। इस छेद के जरिए ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। फेको तकनीक की शुरुआत जिला अस्पताल बीजापुर, सूरजपुर, बलौदाबाजार, बैकुंठपुर (कोरिया), कोंडागांव, धमतरी, मुंगेली, सरगुजा, बस्तर, रायगढ़, राजनांदगांव, रायपुर और बिलासपुर से की गई थी। इसमें अब कोरबा भी शामिल हो गया है।

माना सिविल अस्पताल में आपरेशन की सुविधा

आंखों की जांच और आपरेशन के लिए 100 बिस्तरों वाले माना सिविल अस्पताल में छह सर्जन सहित 35 कर्मचारियों की टीम काम कर रही है। सोमवार को ग्लाकोमा, गुरुवार को रेटिना और शनिवार को बच्चों में आंख की बीमारी की विशेष जांच की जाती है। रेटिना संबंधी विकारों के लिए ग्रीन लेजर की सुविधा भी अस्पताल में उपलब्ध है। माना में रायपुर समेत अन्य जिलों के नेत्र रोगियों के आपरेशन किए जा रहे हैं।
 
मरीजों को लाने व ले जाने की निश्शुल्क सुविधा भी अस्पताल की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। आपरेशन के बाद मरीजों के नियमित फालोअप के लिए बुलाया जाता है। माना सिविल अस्पताल में वर्ष 2021-22 में 267 आपरेशन किए थे, जो 2022-23 में 1552 हो गए। वर्ष-2023-24 में 703 आपरेशन किए जा चुके हैं।

राज्य में वर्षवार मोतियाबिंद आपरेशन

वर्ष आपरेशन
2017-18 1,16,925
2018-19 1,18,605
2019-20 1,20,670
2020-21 41,874
2021-22 85,178
2022-23 1,35,113

फेकों तकनीक से शुरू किया जाएगा इलाज

 

 

 

प्रदेश के नौ जिले कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री हो चुके हैं। कांकेर ने भी दावा किया है। दिसंबर में केंद्रीय टीम के आने की उम्मीद है। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को करनी है। कोरबा में फेको तकनीकी से इलाज शुरू किया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी शुरू किया जाएगा।

 

 

-डा. सुभाष मिश्रा, राज्य नोडल अधिकारी, अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम
 
 

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