AI Deep Fake: असली आपके पास है तो साइबर अपराधी नहीं फैला सकेंगे मोर्फेड फोटो और वीडियो
HIGHLIGHTS
- असली आपके पास है तो साइबर अपराधी नहीं फैला सकेंगे मोर्फेड फोटो और वीडियो
- stopncii.org वेबसाइट पर रिपोर्ट कर रोक सकते हैं वीडियो का प्रसार
- डीप फेक तकनीक से पीएम मोदी को भी गरबा करते दिखा दिया गया
प्रवीण मालवीय, भोपाल। आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की डीप फेक तकनीक का उपयोग कर वीडियो और फोटो में मार्फिंग (एडिटिंग) बड़ा खतरा बनती जा रही है। साइबर अपराधी इसका उपयोग ठगी के लिए हथियार के तौर पर करने लगे हैं, लेकिन इससे बचने का तोड़ एक प्लेटफार्म के रूप में सामने आया है। रिवेंज पोर्न की रोकथाम करने वाली stopncii.org यानी स्टाप एनसीआइआइ डाट ओआरजी वेबसाइट के माध्यम से एडिटेड वीडियो और फोटो को रोका जा सकता है। इसके लिए असली फोटो और वीडियो शिकायतकर्ता के पास होना अनिवार्य है।
ऐसी स्थिति में फंसे व्यक्तियों की मदद के लिए साइबर सेल एक प्लेटफार्म का प्रचार कर रही है। साइबर सेल के अनुसार पीड़ित को stopncii.org (स्टापएनसीआइआइडाटओआरजी) वेबसाइट पर जाकर अपना केस क्रिएट कर मोर्फेड फोटो-वीडियो के साथ असली फोटो और वीडियो अपलोड करना होगा। केस के सही होने की पुष्टि होते ही इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म से यह वीडियो हटा दिए जाएंगे।
ऐसे काम करता है प्लेटफार्म
साइबर ला एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय संस्था रिवेंज पोर्न हेल्पलाइन की ओर से इस प्लेटफार्म का संचालन किया जाता है। किसी भी देश का नागरिक विश्वभर में कई इंटरनेट प्लेटफार्म पर अपलोड अपने निजी या आपत्तिजनक फोटो और वीडियो हटवा सकता है। किसी शिकायत के आने पर यह प्लेटफार्म उस वीडियो की एक हैश वैल्यू (कोड फाइल) बनाते हैं और अपने एसोसिएट पार्टनर्स को भेज देते हैं।
इस तरह एक रिक्वेस्ट से कई प्लेटफार्म से वीडियो हटा दिया जाता है। इस पहल का सबसे बड़ा पार्टनर्स गूगल हो सकता था लेकिन अभी तक पार्टनरशिप नहीं होने से वर्तमान में यूट्यूब से वीडियो नहीं हट पाते हैं। यशदीप चतुर्वेदी कहते हैं कि भारत सरकार को भी ऐसा प्लेटफार्म बनाना चाहिए और सभी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को निर्देशित कर साइबर अपराध का शिकार होने वाले भारतीयों के वीडियो रुकवाने चाहिए।