National Epilepsy Day 2023: झाड़फूंक नहीं, डाक्टर से उपचार करवाएं, मिर्गी से मुक्ति है आसान
National Epilepsy Day: एमवाय अस्पताल में रोजाना पांच प्रतिशत नए मरीज आ रहे मिर्गी के, सर्जरी से मिल रहा आराम।
HIGHLIGHTS
- पहले मरीज को जीवनभर दवाइयां खानी पड़ती थी, अब सर्जरी से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
- पहले लोगों में मिर्गी को लेकर काफी अंधविश्वास था, वह इसके इलाज के लिए झाड़-फूंक करवाते थे।
- यदि पहले और दूसरे झटके में मरीज उपचार के लिए पहुंच जाएं तो बीमारी से जल्द आराम मिलने लगता है।
National Epilepsy Day: मिर्गी एक ऐसा रोग है जिसे लेकर जागरूकता कम और भ्रांतियां ज्यादा रही हैं। इसी कारण कई लोग तो इसका इलाज करवाने अस्पताल पहुंच ही नहीं रहे थे। अब आधुनिक तकनीकों ने मिर्गी का इलाज आसान कर दिया है। पहले मरीज को जीवनभर दवाइयां खानी पड़ती थी, लेकिन अब सर्जरी के माध्यम से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि, अब धीरे-धीरे ही सही, लेकिन लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता आ रही है और वे इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इससे मरीजों के आंकड़े भी सामने आ रहे हैं।
एमवाय अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 30-40 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें करीब पांच प्रतिशत तक नए मरीज होते हैं, जिनका न्यूरोलाजिस्ट द्वारा प्राथमिक उपचार किया जाता है। यह बीमारी किसी भी आयु में हो सकती है। लेकिन यदि समय पर इसका उपचार करवा लिया जाए तो इसमें मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। पहले मिर्गी के उपचार के लिए नियमित दवाइयां खानी पड़ती थी, लेकिन अब नई तकनीक से इलाज के माध्यम से दवाइयों से भी मरीजों को छुटकारा मिलने लगा है।
पहले अंधविश्वास करते थे लोग
विशेषज्ञों ने बताया कि पहले लोगों में मिर्गी को लेकर काफी अंधविश्वास था, वह इसके इलाज के लिए झाड़-फूंक करवाते थे। लेकिन अब सीधे डाक्टरों के पास आने लगे हैं। खास बात यह है कि पहले बिना उबला नानवेज खाने से भी मिर्गी के दौरे पड़ते थे, लेकिन अब यह समस्या काफी कम हो गई है। बुजुर्गों को लकवा, ट्यूमर के कारण, 20-30 वर्ष के युवाओं को आनुवांशिक कारणों से और बच्चों को जन्म के समय विकलांगता या मस्तिष्क में चोट लगने के कारण यह बीमारी होती है।
मिर्गी दौरे पड़ने के कारण
कई बार रोगियों में मिर्गी के सही कारणों का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। कुछ लोगों को किसी गंभीर बीमारी के बाद मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। दिमाग में गंभीर चोट लगने या चोट के निशान रह जाने पर भी लोगों को मिर्गी का दौरे पड़ने लगते हैं। हृदय से जुड़ी बीमारियां होने पर भी मिर्गी की बीमारी हो सकती है
मिर्गी के लक्षण
मिर्गी दो तरह के दौरे पैदा करती है। एक होता है जनरलाइज्ड एपिलेप्सी, इसमें पूरे दिमाग में दौरा पड़ता है। ये तब तक होता है जब तक कि इंसान बेहोश न हो जाए। दूसरा होता है फोकल एपिलेप्सी, इसमें दिमाग के कुछ हिस्सों में इलेक्ट्रिकल तरंगें दौड़ती हैं। ऐसी स्थिति में इंसान के सूंघने या चखने की शक्ति बदल जाती है। शरीर में मरोड़ आने लगती है, चक्कर आने लगता है और देखने, सुनने की क्षमता खो जाती है।
इलाज की नई तकनीकों से मिलता है ज्यादा फायदा
मिर्गी में यदि पहले और दूसरे झटके में मरीज उपचार के लिए पहुंच जाते हैं तो उन्हें बीमारी से जल्द आराम मिलने लगता है। एमवाय अस्पताल में करीब 30-40 मरीज रोजाना मिर्गी की समस्या लेकर आते हैं। पहले के मुकाबले अब लोगों में बीमारी के इलाज को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इलाज की नई तकनीकों से अब मरीजों को अधिक फायदा मिलने लगा है। – डा. अर्चना वर्मा, न्यूरोलाजिस्ट
बीच में इलाज बंद न करें मरीज
मिर्गी के मरीजों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे इलाज नियमित और डाक्टर के बताए अनुसार पूरा लें। बिना विशेषज्ञों की सलाह के कभी इलाज को बंद ना करें। इसका कारण पता चलने के बाद उसका उपचार करवाएं। एमवाय अस्पताल में ट्यूमर के कारण मिर्गी के मरीज भी आते हैं। जिनका बेहतर उपचार किया जाता है। – डा. राकेश गुप्ता, न्यूरोसर्जन
ऐसे बचें मिर्गी के दौरे से
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- दवाइयां समय पर और नियमित रूप से खाएं।
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- सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं।
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- पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।
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- नियमित व्यायाम करें।
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- तनाव और चिंता कम करें।
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- संतुलित आहार खाएं।
सर्जरी से मिल रहा बेहतर उपचार
मिर्गी के मरीजों का अब सर्जरी के माध्यम से बेहतर उपचार होने लगा है। इसमें दिमाग की जिस नस के कारण झटके आते हैं, उसकी सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी के बाद मरीज को दवाइयां खाने की भी आवश्यकता नहीं होती है। यह सुविधा अभी शहर के शासकीय अस्पताल में नहीं है।