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MP Election 2023: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार विकास का मंत्र नहीं, शब्द बाणों से विपक्ष को किया छलनी…

MP Election 2023: खंडवा से डा. जितेंद्र व्यास। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो माह पहले तक कठिनाई में फंसी नजर आ रही भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो जनसभाओं के बाद नए तेवर और कलेवर में दिख रही है। शनिवार को मालवा के रतलाम में और रविवार को निमाड़ के खंडवा में प्रधानमंत्री इस क्षेत्र की 66 सीटों को साधने के लिए पहुंचे थे।

सभा में उमड़ती भीड़ ने क्षेत्र के भाजपा नेताओं को आत्मविश्वास का बूस्टर डोज तो दिया ही, दोनों स्थलों पर महिलाओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी ने इस पर भी मुहर लगा दी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘लाड़ली बहना’ मंत्र कारगर हो रहा है।
 

खंडवा शहर से करीब 15 किमी दूर छैगांव माखन में बने विशाल सभास्थल में तय समय से दो घंटे पहले ज्यादातर कुर्सियां भर चुकी थीं। मंच संचालक कुछ कहने के लिए पोडियम पर पहुंचते वैसे ही मोदी-मोदी के उद्घोष से पूरा सभा स्थल गूंजने लगता।

बैरिकेडिंग कर बनाए गए अलग-अलग हिस्सों में लगभग सभी जगह अग्रिम पंक्तियों में महिलाएं नजर आ रही थीं। मंच पर मौजूद 12 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के साथ ही क्षेत्रीय सांसद की मौजूदगी और संबोधनों के बीच जैसे-जैसे प्रधानमंत्री मोदी के सभा स्थल पर पहुंचने का समय नजदीक आ रहा था, लोगों की नजरें बार-बार सभास्थल के पास बने हेलीपेड की और उठ रही थीं।

हेलीकाप्टरों की गड़गड़ाहट सुनाई देते ही तालियों की गूंज भी शुरू हो गई। …और कुछ ही मिनटों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंच पर लोगों का अभिवादन कर रहे थे। न स्वागत की बहुत औपचारिकताएं थीं और न ही मंचसीन अन्य अतिथियों के भाषण।

राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने स्वागत भाषण में कुछ शब्द कहे और मंच मोदीजी के हवाले कर दिया। आमतौर पर मोदी अपने संबोधनों में विकास योजनाओं का विस्तृत खाका खींचते हैं और नए भारत को गढ़ने की तस्वीर जन से साझा करते हैं, लेकिन छैगांवमाखन की इस सभा में उनका संबोधन कुछ अलग था।

इस बार विकास का मंत्र नहीं था, बल्कि विपक्ष पर तीखे शब्दबाण थे। कांग्रेस शासन के दौरान मध्य प्रदेश की खस्ता हालत से अपनी बात शुरू कर प्रधानमंत्री ने राजस्थान और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के नेताओं के बीच हो रही लड़ाई और केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर जमकर निशाना साधा।

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने बातों-बातों में युवाओं को अपने भविष्य के लिए सतर्क रहने और कांग्रेस की पुरानी सरकारों के अनुभव अपने बुजुर्गों से जानने की सलाह दी तो लोगों को विकास योजनाओं के लिए भाजपा सरकार की अहमियत भी बताई। भगवान ओंकारेश्वर की नगरी में आदिगुरु शंकराचार्य के तप को याद करते हुए उनके द्वारा भारत को जोड़ने के प्रयासों की बात कही तो साथ ही कांग्रेस के देश को तोड़ने के प्रयासों से लोगों को सतर्क रहने की सीख भी दे डाली।

खंडवा में नल-जल योजना का जिक्र तो किया, लेकिन वहां भी कांग्रेस शासन द्वारा जनजातियों के लिए कुछ नहीं करने और भाजपा सरकार द्वारा उनके लिए 15 हजार करोड़ खर्च करना याद दिला दिया। इसी दौरान गुजरात में अपने मुख्यमंत्रित्व काल को याद करते हुए वहां भी कांग्रेस शासन के समय मुख्यमंत्री के गांव में भी काम नहीं होने का किस्सा भी सुनाया।

अपने संबोधन में बगैर गांधी परिवार का नाम लिया, प्रधानमंत्री ने दिल्ली दरबार के दरबारियों को भी आड़े हाथों ले लिया और टीवी डिबेट में दिनभर समीक्षा करने वालों को मैदान में आकर जनसमुदाय को देखने और फिर राय कायम करने का मशविरा भी दिया।

संबोधन के अर्थ और विमर्श से इतर मंच पर मौजूद प्रत्याशी इसी से प्रसन्न थे कि प्रधानमंत्री के साथ मंच तो साझा किया ही चुनावी सभा में अपनी बात कहने के लिए पहली बार इतना जनसमुदाय भी सामने मिला।

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