दृष्टिदोष से जंग में व्यायाम बनेगा अस्त्र, छत्तीसगढ़ में पांच वर्षों में आंख के रोगों से ग्रसित 30 प्रतिशत बढ़े विद्यार्थी
HIGHLIGHTS
- स्वास्थ्य विभाग ने तैयार प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा
- पांच वर्षों में आंख की बीमारी से ग्रसित विद्यार्थी 30 प्रतिशत बढ़े
- छत्तीसगढ़ में इस वर्ष पांच महीने में आंकड़ा तीन हजार तक पहुंचा
रायपुर। Eye Visual Impairment in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में बढ़ रहे दृष्टिदोष का मुकाबल स्वास्थ्य विभाग व्यायाम से करेगा। इसके लिए पूरी योजना तैयार कर ली गई गई है। स्कूल शिक्षा विभाग की मदद से पहले शासकीय और उसके बाद निजी स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा।
राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्कूलों में चलाए गए अभियान में पाया गया है कि विगत पांच वर्षों में दृष्टिदोष वालों विद्यार्थियों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018-19 में 11,258,20 विद्यार्थियों की जांच में 30,897 में दृष्टिदोष की समस्या पाई गई थी। वर्ष 2022-23 में 10,909,91 की जांच में 37302 विद्यार्थियों में दृष्टिदोष पाया गया है।
पांच महीने में आंकड़ा तीन हजार तक पहुंचा
इस वर्ष पांच महीने में ही आंकड़ा तीन हजार तक पहुंच गया है। इस चुनौती से निटपने के लिए राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी जिलों से एक-एक सहायक नेत्र चिकित्सक और पांच-पांच शिक्षकों को आंखों के व्यायाम का प्रशिक्षण के लिए पुडुचेरी भेजा जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सहायक नेत्र चिकित्सक और शिक्षक अन्य शासकीय स्कूलों में जाकर प्रशिक्षण देंगे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों में सप्ताह में एक दिन होने वाली पीटी क्लासेस में योगाभ्यास के साथ आंखों की कसरत सिखाया जाएगा। इसके अलावा घरों में नियमित रुप से करने पर भी जोर दिया जाएगा।
मोबाइल, टेलीविजन बने वजह
स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की विगत सप्ताह बैठक हुई थी, जिसमें कम उम्र में आंखों की बढ़ती समस्या पर चिंता जाहिर किया गया था। इसके लिए पढ़ाई के अत्याधिक दबाव, मोबाइल और टीवी के ज्यादा उपयोग को प्रमुख वजह माना गया। इसे ध्यान में रखते हुए बच्चों को स्कूलों में मोबाइल के अधिक उपयोग के दुष्प्रभाव तथा नजर कमजोर होने से आने वाली समस्याओं को समझाने के साथ आंखों को तंदुरुस्त रखने के लिए व्यायाम कराने और सिखाने की योजना बनाई गई।
जिलों से मंगाए गए नाम
राज्य शासन से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन दिल्ली भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रशिक्षण में करीब 78 लाख खर्च होंगे। राशि स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रदेश के भी जिलों से सहायक नेत्र चिकित्सकों और शिक्षकों के नाम मंगाए गए हैं। चुनाव के बाद पुडुचेरी के एक नेत्र चिकित्सालय संस्थान में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। पुडुचेरी का नेत्र संस्थान आंखों के व्यायाम का प्रशिक्षण देने क लिए प्रसिद्ध है।
35 हजार चश्मा वितरण का लक्ष्य
स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हर वर्ष स्कूलोें में जाकर बच्चों की आंखों की जांच की जाती है। इस दौरान नजर कमजोर होेने वाले बच्चों को दवा का उपयोग करने की सलाह दी जाती है और ज्यादा समस्या वालों को निश्शुल्क चश्मा वितरित किया जाता है। पिछले बार विभागीय स्तर पर लक्ष्य से ज्यादा चश्मे का वितरण किया गया था। इस बार लक्ष्य 35 हजार चश्मा वितरण का रखा गया है।
अंधत्व निवारण कार्यक्रम के संचालक डा. सुभाष मिश्रा ने कहा, स्थानीय स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद राशि स्वीकृत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। सभी जिलों से नाम मंगाए गए हैं। विधानसभा चुनाव के बाद प्रशिक्षण के लिए भेजने की योजना है। स्कूल शिक्षा विभाग की मदद से इसे लागू किया जाएगा। स्कूलों में सप्ताह में एक दिन होने वाली पीटी क्लासेस में योगाभ्यास के साथ आंखों के व्यायाम सिखाया जाएगा।
पांच वर्ष के आंकड़े
वर्ष बच्चाें की जांच चश्मा वितरण
2018-19 1125820 30897
2019-20 992561 35388
2020-21 0 5500
2021-22 800319 23731
2022-23 1090991 37302