रायपुर : मनरेगा से बनाए गए छिनपुरवा नरवा से जागी किसानों की उम्मीदें, स्टापडेम से बह रहा कलकल करते नीर"/>

रायपुर : मनरेगा से बनाए गए छिनपुरवा नरवा से जागी किसानों की उम्मीदें, स्टापडेम से बह रहा कलकल करते नीर

खरीफ के साथ अब रबी फसलों के लिए भी मिलेगा पानी
बमुश्किल दिसम्बर तक बहने वाले छिनपुरवा में अब गर्मी में भी रहेगा भरपूर पानी

खरीफ के साथ अब रबी फसलों के लिए भी मिलेगा पानीखरीफ के साथ अब रबी फसलों के लिए भी मिलेगा पानी

जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के साथ ही जांजगीर-चांपा जिले में नरवा प्रोजेक्ट के माध्यम से जल-संचय और जल-स्रोतों के संरक्षण-संवर्धन का कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा के माध्यम से बखूबी किया जा रहा है। इन कार्यों से खेती-किसानी के कार्यों को मजबूती मिल रही है और किसानों को सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आजीविका सशक्त हो रही और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बन रही हैं। ऐसा ही कुछ जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत नवागढ़ की ग्राम पंचायत भादा छिनपुरवा नरवा (नाला) के उपचार से किसानों को हुआ है, इस नाले पर स्टापडेम का निर्माण होने के बाद से ही धुरकोट से केवा नवापारा के किसानों को खरीफ के साथ अब रबी फसल के लिए भी पानी मिलने की आस जाग उठी है। पुराने नरवा को पुनर्जीवन मिल गया और गांव की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खुल गया।
जिला पंचायत द्वारा नरवा प्रोजेक्ट को लेकर जिले में कार्य किये जा रहे हैं। इन्हीं कार्यों में नवागढ़ विकासखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत भादा है, जहां से होकर यह छिनपुरवा नाला बहता है। यह छिनपुरवा नाला ग्राम पंचायत के धुरकोट से प्रारंभ होकर पचेड़ा, कसौंदी, मौहाडीह, अकलतरी, गौद व भादा से होते हुए केवा (नवापारा) में हसदेव नदी में मिलता है, पहले इस नाले का पानी बारिश के बाद ही सूख जाता था, ऐसे में किसानों को दोहरी फसल लेने के बारे में सोचना मुश्किल था, साथ ही पशुपालकों के लिए भी पानी नहीं मिलता था, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ी हुई थी। ग्रामीणों ने नाले को सुव्यवस्थित तरीके से उपचार करने के बारे में सोचा तब उन्हें मनरेगा से नाले के उपचार के बारे में जानकारी मिली। इसके बारे में रोजगार सहायक, तकनीकी सहायक ने विस्तार से गांव वालों को जानकारी दी, तब फिर ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पास कराकर जनपद से जिला पंचायत भेजा गया, जिला पंचायत से प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के उपरांत इस नाले के ऊपर स्टापडेम का निर्माण और नरवा का उपचार महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से किया गया, इसके बनने के बाद बारिश में स्टापडेम से कलकल करता हुआ नाला बह रहा है। इस कार्य के लिए महात्मा गांधी नरेगा से 16.85 लाख रूपए की राशि से स्वीकृत दी गई, जनपद पंचायत नवागढ़ के ब्लाक स्तरीय अधिकारियों की मानीटरिंग में इस कार्य को पूर्ण कराया गया। इस नाले में तकरीबन 10 हजार क्यूबिक मीटर पानी संरक्षित हो रहा है। आसपास के क्षेत्र में यह नाला अब बेहतर पानी के स्रोत के रूप में जाना जा रहा है। इस नाले में बहते हुए पानी ने किसानों की जिंदगी को बदलने का काम किया है, बारिश के पानी का सही संरक्षण होने से किसानों को अब दोहरी फसल लेने की उम्मीद जाग उठी है। जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के कई कार्य किए गए हैं, जिससे आसपास के क्षेत्र में हरियाली की चादर फैलने लगी है।
रोजगार के साथ किसानों को लाभ
भादा ग्राम पंचायत के महात्मा गांधी नरेगा के जॉबकार्डधारी परिवारों को स्टापडेम निर्माण होने से गांव में ही रोजगार मिला। रोजगार सहायक श्री राजपाल गाड़ा ने बताया कि स्टापडेम में 82 जॉबकार्डधारी परिवार के सदस्यों ने काम करते हुए 2 हजार 320 मानव दिवस सृजित किये। श्री बाबूलाल पिता अच्छेराम, श्री बरातू पिता समझराम, श्री करन पिता रामलाल ने महात्मा गांधी नरेगा में काम भी किया और इनकी नरवा के पास जमीन भी है, जिससे इन्हें अपनी फसलों में पानी भी मिलने लगा है। नरवा पुनर्जीवन की इस परियोजना पर तकनीकी मार्गदर्शन दे रहे तकनीकी सहायक अब्दुल कामिल सिद्दीकी बताते हैं कि प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना एनजीजीबी के तहत महात्मा गांधी नरेगा से नरवा प्रोजेक्ट कार्यक्रम फेस 1 के तहत स्टापडेम का निर्माण कार्य किया गया है। छिनपुरवा नाले में स्टापडेम बनने के बाद से जलस्तर में सुधार देखने को मिल रहा है, वहीं नरवा से लगी भूमि में नमी की मात्रा बनी रहने लगी है। इससे आसपास के किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
रीपा के ग्रामीण उद्यमी को मिला रोजगार 
नरवा प्रोजेक्ट से जहां एक ओर जल संरक्षण का कार्य किया गया, तो वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क ग्राम पंचायत पचेडा में कंस्ट्रकशन एण्ड एग्रो फेब्रिकेशन यूनिट से जुड़े युवा उद्यमियों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। स्टापडेम में लगाए जाने वाले लोहे के गेट को तैयार करने का काम पचेड़ा के फेब्रिकेशन यूनिट चलाने वाले युवाओं के द्वारा किया  गया। इससे शासकीय योजनाओं में अभिसरण के कार्यों से ग्रामीणों को आगे बढ़ाया जा रहा है। स्टापडेम में बनाए गए लोहे के गेट से रीपा से जुड़े उद्यमियों को फायदा मिला है और उनकी आजीविका का साधन भी निर्मित हुआ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button