अंबेडकर अस्‍पताल के डाक्‍टरों का कमाल, सर्जरी बाद हार्ट पंपिंग हो गई थी कम, बिना छाती खोले बदले दो वाल्व"/> अंबेडकर अस्‍पताल के डाक्‍टरों का कमाल, सर्जरी बाद हार्ट पंपिंग हो गई थी कम, बिना छाती खोले बदले दो वाल्व"/>

अंबेडकर अस्‍पताल के डाक्‍टरों का कमाल, सर्जरी बाद हार्ट पंपिंग हो गई थी कम, बिना छाती खोले बदले दो वाल्व

HighLights

  • 2010 से लेकर 1017 तक महिला की तीन बार हो चुकी थी सर्जरी
  • लगाए गए दोनों वाल्व हो गए थे खराब, सांस लेने में हो रही थी परेशानी
  • डाक्‍टरों ने दिल के मरीज की बिना छाती खोले ही सफल सर्जरी की

रायपुर Raipur News: आंबेडकर अस्पताल के डाक्टरों ने एक बार फिर दिल के मरीज की बिना छाती खोले ही सफल सर्जरी की है। एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के डाक्टरों ने तीन बार हार्ट का आपरेशन करवा चुकी लगभग 70 वर्षीय महिला का सफल आपरेशन करते हुए ब्लाकेज खोलने के साथ ही दो वाल्व भी बदले हैं।

डाक्टर स्मिथ श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज की 2010 में निजी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी, जिसमें हृदय के दो वाल्व चेंज हुए थे। 2017 में पुनः ओपन हार्ट सर्जरी हुई, जिसमें दो वाल्व और चेंज हुए। इसके बाद मरीज की 2017 में हुई सर्जरी की जटिलता के कारण जनित धड़कन की कमी के चलते 15-20 दिन के बाद पेसमेकर लगाने के लिए फिर सर्जरी हुई।

इन तीन सर्जरी के बाद मरीज का हार्ट पम्पिंग काफी कम हो गई थी। अगले कुछ सालों में पुराने सर्जिकल वाल्व भी धीरे धीरे खराब हो गए। मरीज को दोनों सर्जरी द्वारा प्रतिरोपित वाल्व में अत्यधिक सिकुड़न होने के कारण सांस लेना कठिन होता जा रहा था। इस पर कार्डियोलाजी विभाग में आगे उपचार के लिए आकलन और परियोजना बनाई और मरीज का सफल आपरेशन किया।

जानिए, किस तरह जटिल रहा आपरेशन

डा. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार दो वाल्व की एक साथ प्रक्रिया करना जोखिम को कई गुना बढ़ा दिया था, साथ ही पुराने पेसमेकर का एक तार खराब हुए वाल्व के बीच में था, जिसकी प्रकिया के दौरान मरीज की धड़कन के बंद होने की सम्भावना थी।

मरीज का हार्ट कम पम्प कर रहा था, इसलिए दवाओं के सहारे हार्ट की पम्पिंग क्षमता को ठीक किया और बिना छाती खोले हार्ट के बाएं तरफ के ऐआर्टिक वाल्व का टावी प्रोसीजर के जरिए वाल्व चेंज करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही साथ दाहिने तरफ के खराब ट्राइकस्पिड वाल्व को भी खोलने का निर्णय लिया

हार्ट के बाएं हिस्से में स्थित पुरानी 2010 की सर्जरी द्वारा लगाए गए एओर्टिक वाल्व के अंदर ही जांघ की नासिका के रास्ते बिना छाती खोले नया वाल्व लगाया जिसे सेल्फ एक्सपेंडिंग वाल्व कहते हैं। इस वाल्व को पुराने वाल्व से थोड़ा ऊपर खोला जिसके कारण मरीज के खून का बहाव काफी अच्छा हो गया। इस वाल्व को लगाने के बाद मरीज की सांस फूलने और अन्य दूसरी गंभीर दिक्कतें दूर हो गई।

इन डाक्टरों का रहा सहयोग

इस जटिल कार्डियक प्रक्रिया करने की योजना बनाने के लिए डा भीमराव आंबेडकर हास्पिटल के रेडियोडायग्नोसिस विभाग से डा. एसबीएस नेताम ने सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी द्वारा वाल्व का सटीक माप निर्धारित करके दिया और निश्चेतना विशेषज्ञ डा. शशांक ने मरीज को बिना बेहोश किए पूरी प्रक्रिया के दौरान अर्धचेतन अवस्था में संभाले रखा। टेक्निकल टीम का नेतृत्व खेम सिंह और जीतेन्द्र चेलकर और कैथ लैब में मुख्य नर्सिंग असिस्टेंट आनंद सिंह ने मरीज के ब्लड प्रेशर और धड़कन को मानीटर किया।

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